
नीलू चौधरी

(नीलू चौधरी कवयित्री और कहानीकार हैं)
उस घरेलू स्त्री को
कभी हारी हुई स्त्री समझने की
गलती मत करना जो कर लेती है
हालात को स्वीकार।
दरअसल ऐसी आत्मनिष्ठ स्त्री में
हालात पर फ़तह हासिल करने की
होती है कुव्वत।
कभी उस घरेलू स्त्री को
हारी हुई स्त्री समझने की गलती
मत करना जो पीढ़ियों से हस्तांतरित
उन परंपराओं का करती है पालन
जिनका अद्यतन समाज में
नहीं होता कोई औचित्य।
दरअसल परंपरा पालन के पीछे
उनका प्रयोजन होता है
बुजुर्गों के कहन का मान रखना।
भूल से भी उस स्त्री को
हारी हुई स्त्री मत कहना जो
ओढ़ी रहती है चुप्पी का तिरपाल।
दरअसल उसके अंदर अगणित बोल
दबे पड़े होते हैं सुप्त ज्वालामुखी की तरह।
अनाचार की पराकाष्ठा को देख
ज्वालामुखी सदृश फट पड़ते हैं
उसके बोल….
अनीति को विनष्ट करने की क्षमता को
धारण करने वाली विजेता स्त्री को
कभी भी हारी हुई स्त्री
कहने की गलती मत करना।
#नीलू_चौधरी
बहुत सुंदर ????