
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
कोटा के सूरदास सर्किल के पास मौजूद कल्पवृक्ष में इन दिनों फल आए हुए हैं। माना जाता है कल्पवृक्ष देवलोक का एक वृक्ष है। इसे कल्पद्रुप, कल्पतरु, सुरतरु देवतरु तथा कल्पलता इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार समुद्रमंथन से प्राप्त 14 रत्नों में कल्पवृक्ष भी था। यह इंद्र को दे दिया गया था और इंद्र ने इसकी स्थापना सुरकानन में कर दी थी। हिंदुओं का विश्वास है कि कल्पवृक्ष से जिस वस्तु की भी याचना की जाए, वही यह दे देता है। इसका नाश कल्पांत तक नहीं होता।
कल्पवृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन या ” समुद्र मंथन ” के दौरान कामधेनु, दिव्य गाय के साथ हुई, जो सभी जरूरतों को पूरा करती है। देवताओं के राजा इंद्र इस पेड़ को लेकर अपने स्वर्ग लौट गए। कल्पवृक्ष की पहचान पारिजात, फिकस बेंगालेंसिस, बबूल, मधुका लॉन्गिफ़ोलिया, प्रोसोपिस सिनेरेरिया, डिप्लोक्नेमा ब्यूटिरासिया और शहतूत के पेड़ “मोरस नाइग्रा ट्री” जैसे जेडकई पेड़ों से की जाती है।

कल्पवृक्ष के फल को Baobab fruit “बाओबाब फल” भी कहा जाता है। इसके फलों में भरपूर रेशा (फाइबर) होता है। मानव जीवन के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व इसमें मौजूद रहते हैं। पुष्टिकर तत्वों से भरपूर इसकी पत्तियों से शरबत बनाया जाता है और इसके फल से मिठाइयां भी बनाई जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हमारे शरीर में आवश्यक 8 अमीनो एसिड में से 6 इस वृक्ष में पाए जाते हैं।
पर्यावरण के लिए – यह वृक्ष जहां भी बहुतायत में पाया जाता है, वहां सूखा नहीं पड़ता। यह रोगाणुओं का डटकर मुकाबला करता है। इस वृक्ष की खासियत यह है कि कीट-पतंगों को यह अपने पास फटकने नहीं देता और दूर-दूर तक वायु के प्रदूषण को समाप्त कर देता है। इस मामले में इसमें तुलसी जैसे गुण हैं।
पानी के भंडारण के लिए इसे काम में लिया जा सकता है, क्योंकि यह अंदर से (वयस्क पेड़) खोखला हो जाता है, लेकिन मजबूत रहता है जिसमें बड़ी मात्रा पानी की स्टोरिंग केपेसिटी होती है। इसकी छाल से रंगरेज की रंजक (डाई) भी बनाई जा सकती है। चीजों को सान्द्र अथवा सॉलिड बनाने के लिए भी इस वृक्ष का इस्तेमाल किया जाता है।

कल्पवृक्ष का औषधि के रूप में उपयोग –
पत्तों का उपयोग – हमारे दैनिक आहार में प्रतिदिन कल्पवृक्ष के पत्ते मिलाएं 20 प्रतिशत और 80 प्रतिशत सब्जी (पालक या मैथी) रखें। आप इसका इस्तेमाल धनिए या सलाद की तरह भी कर सकते हैं। इसके 5 से 10 पत्तों को मैश करके परांठे में भरा जा सकता है।
कल्पवृक्ष का फल आम, नारियल और बिल्ला का जोड़ है अर्थात यह कच्चा रहने पर आम और बिल्व तथा पकने पर नारियल जैसा दिखाई देता है लेकिन यह पूर्णत: जब सूख जाता है तो सूखे खजूर जैसा नजर आता है।
इसका फल कई महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है। यह वजन घटाने,रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित करने, एंटीऑक्सिडेंट और पॉलीफेनोल सामग्री सूजन को करने, पाचन क्षमता बढ़ाने में लाभकारी है।
परंपरागत रूप से, बाओबाब के पत्तों, छाल और बीजों का उपयोग मलेरिया, तपेदिक, बुखार, माइक्रोबियल संक्रमण, दस्त, एनीमिया, दांत दर्द और पेचिश सहित “लगभग किसी भी बीमारी” के इलाज के लिए किया जाता है।