कल कल बहती, सब सहती पोषण करती नीर क्षीर दायिनी !

ऐसे कई नासमझ हैं, जो नारी को नरक का द्वार कहने की भूल करते हैं। जिस स्त्री के द्वारा ही उसकी उत्पत्ति हुई है, दुनिया में आने से पहले, जिसकी कोख में ही सुरक्षित था। और बाद में भी, जिसने अपना दूध पिला, सब कुछ देकर उसको जीवनदान दिया। भला क्यों उस स्त्री को कमतर आंका गया। मां, पत्नी, बहन, बेटी, प्रेमिका, नारी का हर रूप पूजनीय है।

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फोटो अखिलेश कुमार

-मनु वाशिष्ठ-

manu vashishth
मनु वशिष्ठ

मां _
परेशां हों तो
सर्दी की धूप सी गुनगुनी, प्यार देती मां
उनकी बातें, देती दिलासा
करतीं ऊर्जा संचार, लाइफ लाइन है मां!
पत्नि __
है श्रेष्ठतम,सलाहकार
बने जब जीवनसंगिनी अर्धांगिनी!
जीवन यात्रारथ पर,बन पहियों की धुरी
रण क्षेत्र में रक्षा दायिनी!
बहन __
मां का आंगन!
बहन भाई संग,बीता बचपन
बांध कलाई पर रक्षा धागा
लेती सारी बलाएं, दुख कर देती आधा
बेटी __
उछाल के चावल!
गई जो बेटी,
पल भर में हुई पराई
दो दो कुल का मान बढ़ाई
प्रेमिका __
जंगल में विचरती
शोख सी चंचला हिरनी! कभी अश्व वाहिनी
बहती पवन सी,
देती प्राणवायु जीवन दायिनी!
नारी __
नारी है
नारायणी!
कल कल बहती, सब सहती
पोषण करती नीर क्षीर दायिनी!

__ मनु वाशिष्ठ कोटा जंक्शन राजस्थान

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Neelam
Neelam
2 years ago

वाह क्या बात है।नारी के हर रूप का बिलकुल सटीक चित्रण आपने किया है ।

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Neelam
2 years ago

????????????

Meena Gaur
Meena Gaur
2 years ago

क्या शानदार बात कही मन को हर शब्द ने छुआ????????????????

Meena Gaur
Meena Gaur
2 years ago

क्या शानदार बात कही मन को हर शब्द ने छुआ????????????????

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Meena Gaur
2 years ago

????????????

Meena Gaur
Meena Gaur
2 years ago

बहुत ही मनभावन