चिंतन मनन और विचार की दुनिया से निकली बात को संभालने के लिए एक अदद चाय का प्याला होना चाहिए

चाय पर आदमी आसपास के संसार को एक अनुभव कथा की तरह जीते हुए जीवन संसार की उन तमाम कथाओं को जीते हैं .... जहां से जीवन संसार जीता हुआ दिखता है

-द ओपिनियन-

चाय पर जिंदगी दौड़ती भागती चली आती है। जब चाय पक रही हो, बन रही हो तब मद्धिम आंच के साथ चाय की सुगंध को, चाय पकने की क्रियाविधि को अपने भीतर भरना चाहिए। चाय पकती है जीवन की आंच, ताप और मन के आदिम लगाव से। चाय पीते हुए बस इतना ही नहीं होता कि गरमागरम एक पेय पी लिया। नहीं – नहीं चाय के साथ हम अपनी सभ्यता को, अपनी जीवनदारी को और मानवीय संबंधों के उस राग तंतु को जीते हैं जिसके कारण चाय, चाय होती है। चाय पर आदमी आसपास के संसार को एक अनुभव कथा की तरह जीते हुए जीवन संसार की उन तमाम कथाओं को जीते हैं …. जहां से जीवन संसार जीता हुआ दिखता है।
चाय के किनारे से तरह तरह की कहानियां शुरू हो जाती हैं और इस बीच जो समय बनता है वह गढ़ने का काम करता है। चाय के साथ चाय के रंग में जुड़ी दुनिया की सोच अनुभव का विस्तार करने लगती है। एक न एक विचार एक न एक नया आइडिया आ ही जाता जो चाय के साथ शुरू होता है और आपके दिमाग पर इस तरह क्लिक करता है कि यह कार्य आप करें । यह आप ही कर सकते हैं और आपको ही करना है । चाय सीधे – सीधे हमारी चेतना को जागृत करती है और चेतना के साथ गतिशील भी होती है। चिंतन मनन और विचार की दुनिया से निकली बात को संभालने के लिए एक अदद चाय का प्याला होना चाहिए।

पुस्तक: चाय, जीवन और बातें

– विवेक कुमार मिश्र
सूर्य प्रकाशन मंदिर बीकानेर
मूल्य ₹-300
अमेजन पर भी पुस्तक उपलब्ध है

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D K Sharma
D K Sharma
2 years ago

चाय बनाने का जो तरीका अंग्रेजों ने बताया था उस में तो पानी उबाल कर उस में तो चाय की पत्ती डाल कर केतली को ढक देना था। आजकल तो चाय को दाल की तरह उबाला जाता है तब चाय का स्वाद आता है।

विवेक मिश्र
विवेक मिश्र
Reply to  D K Sharma
2 years ago

अपने हिसाब से प्रयोग करते रहिए और चाय का आनंद लेते रहिए । चाय की लोकप्रियता के मूल में यहीं है।

श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
2 years ago

चाय पेय हमारे जीवन की संजीवनी बूटी से कम नहीं है.दोस्तों के साथ गपशप हो,घर आए आगंतुकों का स्वागत सत्कार हो, चाय की सुगंध और इसको सिप करते ही ,दिल और दिमाग की खिड़कियां खुल‌ जाती है . डाक्टर विवेक मिश्रा ने चाय की महिमा का ऐसा ही चुटीला आख्यान प्रस्तुत किया है अपने ग्रंथ में

विवेक मिश्र
विवेक मिश्र

चाय का अपना ही रंग और अंदाज है। चाय की सहजता और सर्व उपलब्धता ही उसे सबके करीब ले जाती है । आपका बहुत बहुत आभार।

विवेक मिश्र
विवेक मिश्र
Reply to  Editor
2 years ago

जी । चाय इस सर्दी में और बड़ी जरूरत बन जाती है। हाड़ कंपाती ठंड एक चाय मिल जाएं बस ।
बहुत बहुत आभार आपका