
– विवेक कुमार मिश्र

एक दिसंबर अगले दिसंबर के लिए
प्लान बनाने को कहता है
दिसंबर साफ साफ कह देता है कि
बातें /बहाने और टालमटोल से
किनारा करते हुए
सीधे सीधे अपने कर्म उद्योग के साथ चल पड़ों
दिसंबर जीने की प्रस्तावना लिखता है
और जनवरी से दिसंबर तक
हम सब उपलब्धियों की रूपरेखा तैयार करने में लग जाते हैं
दिसंबर हमें जमीन पर
चलना सीखता है
दिसंबर कभी यह नहीं कहता कि बस इतना ही
यहीं करों या ऐसा ही और इतना ही करों
दिसंबर के खाते में मूल्यांकन
हिसाब-किताब और अवधारणाएं तो होती ही हैं
साथ में वे सारी उपलब्धियां भी होती हैं
जो वर्ष पर्यन्त दिसंबर के नाम पर बनायी जाती हैं
दिसंबर हमें उपलब्धियों के साथ
चलना सीखता है।