
-डॉ.रामावतार सागर-

गीत
धड़कने गाने लगी मल्हार
तो दिल क्या करे।
छेड़ देती हो हृदय के तार
तो दिल क्या करे।।
देर तक हाँ देर तक
होती रही जब बारिशें
मानता आखिर कहाँ तक
मन-मयूरा बंदिशें
हो गयी प्यासी धरा भी
तृप्त पाकर नेह को
अब हवाएं रच रही है
प्रेम की कुछ साजिशें
हो रही हो नेह की बौछार
तो दिल क्या करे(1)
इक अलग अहसास से
परिचय हुआ अच्छा लगा
दिव्य-पावन-रूप-दर्शन
मुझको तो अपना लगा
पा लिया संसार सारा
करके तेरा आचमन
खो दिया जब खुद को तो
पाना तुम्हें अच्छा लगा
पा रहा हो प्रेम का संसार
तो दिल क्या करे(2)
कुंज-वन में रास के
अहसास नित होने लगे
कृष्ण-राधा की तरह
इक-दूजे में खोने लगे
पा लिया खोकर स्वयं को
आज तेरी दीद में
रात-दिन मधुमास के
सरगम से मृदु होने लगे
हो रही हो कामना साकार
तो दिल क्या करे(3)
धड़कने गाने लगे
मल्हार तो दिल क्या करे
डॉ.रामावतार सागर
कोटा, राज.
9414317171

















