
– विवेक कुमार मिश्र

बारिश, हां बारिशों का शोर मन पर बजता रहता है। बारिश जो बादलों संग झूमते गाते आ ही जाती है लगता है कि पेड़ पहाड़ और बादल एक साथ मिलने ही आ गये हों। दूर दूर तक बस कोई और नहीं बारिशों का ही शोर और राज है। गरज गरज कर झूम झूम कर बादल बरस रहे हैं। प्रकृति का एक अलग ही संगीत है जो मन पर पृथ्वी पर और जीवन पर एक साथ बरसता ही रहता है। इस बारिश का आनंद बच्चे बूढ़े नौजवान सब एक साथ लेते हैं सबके लिए बारिश जीवन का रस लेकर आ गई है। जो तपिश थी वह न जाने कहां चली गई अब तो बारिश है और उस बारिश का आनंद लीजिए। बारिशों का हाल यूं है कि बस मन किया और आ गई, और बरसना है तो बरसना ही है। बारिश आपकी सुविधा असुविधा के हिसाब से नहीं चलती उसको तो बस चलना है तो चलना है और रुक गई तो रुक ही गई फिर आपके या किसी के कहने से एक बूंद भी आने वाला नहीं है। बारिश के मौसम का हर किसी को इंतजार रहता है, लोगों के मन पर , दिलो-दिमाग पर बारिश इस तरह से छायी रहती है कि आप कहीं हों कैसे भी हों यदि बारिश हो रही है तो भिगोकर ही रहेगी । यदि बारिश के मौसम में भी नहीं भीगा तो फिर बारिशों को क्या देखा । बारिश के मौसम जीने के लिए, सुकून के साथ रहने के लिए और जीवन यात्रा में जीने के लिए होती रहती है बारिश। कहते हैं कि बारिश में एक बार जानबूझकर भीग जाइए बारिश के आनंद में डूब जाइए और प्रकृति का आनंद लीजिए। प्रकृति को जानने समझने के लिए ही वर्षा ऋतु में निकलना चाहिए। यदि बारिश हो और आप कहीं घर में छुप कर बैठे हों तो फिर क्या कहना… प्रकृति भी कहती है कि इतना कुछ दिया है पर यह बौड़म आदमी अब भी घर में बैठा है तो फिर भला यह कैसे जीवन जी रहा है। बारिश का मौसम ही इस बात के लिए है कि आनंद के साथ दुनिया को जीना सीखें। बारिशों के बीच ही सुकून के साथ चाय पर दोस्तों के साथ बातचीत करें चाय,पकौड़ी आदि का आनंद भी लें न कि बारिश में किसी कोने में छुप कर बैठ जाएं । बारिश को जीना सीखें और संसार को समझने की कोशिश करें। बारिश में यदि ध्यान से, सावधानी के साथ चलते हैं तो जीवन को सहज ढ़ंग से जीने का सुख इसी बारिश में मिलता है। मद्धिम लय में बारिश में गाड़ी को लेकर निकल जाइए, बारिश की बूंदों को आने दीजिए नहीं बाहर निकल सकते तो खिड़की से ही बारिश की फुहारों का आनंद ले लीजिए। हर हाल में बारिश को जीना सीखिए।
सावन का महीना चल रहा है। रिमझिम रिमझिम बारिश की फुहार कभी भी कहीं भी किसी भी ओर से आ सकती है। कहते हैं कि सावन में आकाश ही पृथ्वी से बतियाने आ जाता है। बादलों के साथ बारिश की ऐसी महफ़िल जम जाती है कि बारिशों के अलावा कुछ और दिखता ही नहीं। उमड़ घुमड़ कर चारों तरफ से बादल दौड़ते हुए चलें आ रहे हैं। मौसम इतना सुहावना हो चुका है कि बस यहीं से बैठकर संसार भर का आनंद लें। पता नहीं कहां कहां पहाड़ों पर ठंडे प्रदेशों में लोग जाते रहते हैं, जब इतना कुछ यहीं हैं तो फिर कहीं भी क्या जाना । पहाड़, नदियां और वनस्पतियों से इस तरह से पूरी धरा इतनी सजी हुई है कि बस कोई हो जो आंख खोलकर देख रहा हों, मां चंबल के किनारे बसा हुआ कोटा हर मौसम में, हर रंग में सहज ही अपनी ओर खींच लेता है हर मौसम का अलग ही आनंद और अलग ही पाठ होता है पर बारिश का समय हो फिर तो किसी भी सड़क पर थोड़ी देर के लिए निकल जाइए, मौसम का संगीत यहां सहज ही बजने लगता है। खिली हुई प्रकृति ऐसे दिखती है मानों बातें कर रही हों, दूर दूर तक पेड़ों की सघन छाया और इस पर बारिशों का शोर अंदर तक बजने लगते हैं यहां जीवन को चमकते हुए चहकते हुए ऐसे देखते हैं कि लगता ही नहीं कि आदमी को इससे ज्यादा क्या चाहिए। बस एक बार ठहर कर अपने आसपास की दुनिया को देखो, जो बूंदें गिरी रही हैं वे कैसे और किस अंदाज में गिर रही हैं, उनके आने की आहट को समझें और मौसम के गीत को अपने भीतर भी बजने का अवसर दें। सावन एक अलग ही उत्सव व आनंद लेकर आ जाता है, यह उत्सव प्रकृति ही रचती है।
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