
-चाँद ‘शैरी’-

शामे – ग़म, एक दिले-ज़ार ! ढल जाएगी
ज़िन्दगी इक ग़ज़ल में बदल जाएगी
ए ग़मे- दिल! न अश्कों के दरिया बहा
मयकशों की तबीअत मचल जाएगी
आतिशे-ग़म में मूरत भी वो मरमरी
मोम जैसी किसी दिन पिघल जाएगी
मुझ को क़ातिल निगाहों से मत देखिए
दिल पे दुश्मन के तलवार चल जाएगी
इस से अच्छी नहीं ‘शेरी’ ग़म की दवा
ज़िन्दगी शाइरी में निकल जाएगी
चाँद ‘शैरी’ (कोटा)
098290-98530
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Bahut Khoob Chand Bhai Bahatreen Gazal.