
ग़ज़ल
-शकूर अनवर-
नाम रोशन ज़माने में कर तो सही।
तू भी सूली से इक दिन गुज़र तो सही।।
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तुझको मोती मुहब्बत के मिल जायेंगे।
दिल की गहराइयों में उतर तो सही।।
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जिसके क़ब्ज़े में साॅंसों की डोरी तेरी।
उससे कुछ ख़ौफ़ खा उससे डर तो सही।।
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तीरगी* से निकल रोशनी की तरफ़।
अपना दामन सितारों से भर तो सही।।
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फिर मरुस्थल का विस्तार मिल जायेगा।
पहले कण कण की सूरत बिखर तो सही।।
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अपनी मंज़िल की जानिब क़दम तो बढ़ा।
रेत के जंगलों से गुज़र तो सही।।
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फिर ये आकाश भी तेरा हो जायेगा।
पहले दुनिया से “अनवर” गुज़र तो सही।।
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तीरगी* ॲंधेरा,
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शकूर अनवर
पता शमीम मंज़िल सेठानी चौक
श्रीपुरा कोटा 324006 राज
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