– विवेक कुमार मिश्र-

चाय पर जिंदगी
अपने जीवंत संदर्भों से बात करती है
बातों के बीच – बीच से मानवीय संसार की
बहुतेरी कथाएं ऐसे आती हैं कि
इसके बिना कुछ और हो ही नहीं सकता
संसार को समझने के लिए
सांसारिक गतिविधियों से जुड़ना पड़ता
लोगों के बीच आना पड़ता है
संवाद – दर – संवाद
हर बात की तह में जाना पड़ता
इस क्रम में आदमी चाय के साथ
दुनियावी जिंदगी को जीते हुए
कदम बढ़ाते चलते चले जाते हैं
यहां वह सब संसार होता
जिसके साथ हमारी दुनिया
एक बेहतर संरचना की निर्मित दे रही होती
यहीं से सभ्यता की बातें होती
आदमी को उसके जीवित संदर्भों के साथ
समझा जाता , पूरा का पूरा जाना जाता
यह बात दीगर है कि जब चाय पर होते
तो कहीं भी इस तरह नहीं होते कि
चाय के अलावा दुनिया में कुछ और हो ही नहीं
फिर भी चाय पर होते हुए हम संसार ही घूम आते
सारा संसार ऐसे आता कि यहीं पड़ोस में बैठा हो
संसार में जाने के लिए
चाय पर इस तरह आंच का एक वृत्त बनता है
इसी वृत्त से दुनिया को देखते रहते हैं
यह सांसारिक क्रियाकलाप देखा जाये तो
जीवन पथ पर अपने ढ़ंग से चलता रहता है ।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)