साइलेंट किलर को हराएँ – नियमित जांच और सही जीवनशैली अपनाएँ

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-विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे) 17 मई 2025 पर विशेष

-डॉ. विदुषी शर्मा/डॉ. सुरेश पाण्डेय

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डॉ. विदुषी शर्मा                       डॉ. सुरेश पाण्डेय

कल्पना कीजिए कि आप एक सुबह आँखें मलते हुए उठते हैं, लेकिन सामने का दृश्य धुंधला दिखाई देता है, मानो कोहरे ने सब कुछ ढक लिया हो। आप पलकें झपकाते हैं, आँखें मिचमिचाते हैं, लेकिन स्पष्टता नहीं लौटती। घबराहट में आप आँखों के डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, और वहाँ आपको ऐसी बात सुनने को मिलती है जिसकी आपने कभी उम्मीद नहीं की थी: “आपका ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर पर है।” यह कहानी उन अनगिनत लोगों की है जो पहली बार इस तरह जान पड़ते हैं कि वे उच्च रक्तचाप, यानी हाइपरटेंशन, के शिकार हैं। इसे “साइलेंट किलर” यूं ही नहीं कहा जाता—यह चुपके से हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है, बिना कोई शोर मचाए। एक नेत्र सर्जन के रूप में, हमने सुवि नेत्र अस्पताल कोटा में, पिछले कई वर्षों में ऐसे कई मरीजों को देखा है, जिनकी आँखों की रोशनी इस खामोश बीमारी (साइलेंट किलर) की वजह से खतरे में पड़ गई। हर बार यह अनुभव हमें दिलाता है कि इस बीमारी को रोकना कितना आसान हो सकता है, बशर्ते हम समय पर सजग हो जाएं।

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दिनाँक 17 मई, 2025 को हम विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे) मना रहे हैं, जिसकी थीम है: “अपने रक्तचाप को सही तरीके से मापें, उसे नियंत्रित करें, और लंबा जीवन जिएं।” यह थीम केवल शब्द नहीं, बल्कि एक संदेश है जो लाखों जिंदगियों को बचा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में 1.28 अरब लोग उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) से जूझ रहे हैं, और इनमें से 46% को इसकी जानकारी तक नहीं है। भारत में यह स्थिति और भी गंभीर है। हमारे देश में 18.83 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर नामक बीमारी से प्रभावित हैं, लेकिन केवल 15% का ही रक्तचाप नियंत्रित है। ये आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि हमारे परिवारों, दोस्तों और समाज का हिस्सा हैं, जो अनजाने में “साइलेंट किलर” नामक इस बीमारी के खतरे के साए में जी रहे हैं। हर साल, उच्च रक्तचाप और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण विश्व में लगभग एक करोड़ आठ लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। यह आँकड़ा हमें झकझोरता है कि यह चुपचाप जीवन को समाप्त करता यह “साइलेंट किलर” कितनी व्यापक और घातक है।

एक नेत्र सर्जन के रूप में, हमने बार-बार देखा है कि उच्च रक्तचाप का सबसे विनाशकारी प्रभाव हृदय, मस्तिष्क, किडनी के साथ-साथ हमारी आँखों पर भी पड़ता है। रेटिना (दृष्टि पटल), जो आँख का वह संवेदनशील हिस्सा है जो हमें देखने की शक्ति देता है, इस बीमारी से प्रभावित होता है। उच्च रक्तचाप के कारण रेटिना की छोटी-छोटी रक्त वाहिकाएं संकुचित हो सकती हैं, उनमें रिसाव हो सकता है, या वे फट सकती हैं। इससे हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी, सेंट्रल रेटिनल वेन ऑक्लूजन, या ऑप्टिक न्यूरोपैथी जैसी गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं। इन समस्याओं से रोगियों में धुंधला दिखाई देता है या कई बार उनकी रोशनी पूरी तरह चली जाती है। ऐसे मरीजों को अस्पताल आने पर पहली बार पता चलता है कि उन्हें उच्च रक्तचाप है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है, जहां तुरंत इलाज जरूरी है। अगर समय रहते उपचार न हो, तो स्थायी अंधापन भी हो सकता है।

उच्च रक्तचाप का डरावना पहलू यह है कि यह अक्सर बिना लक्षणों के दस्तक देता है। कुछ लोगों को सिरदर्द, चक्कर, थकान, सीने में दर्द, सांस फूलना या नाक से खून बहना जैसे संकेत मिलते हैं, लेकिन ज्यादातर रोगियों को हाई ब्लड प्रेशर के आरम्भिक संकेत (लक्षण) नहीं मिल पाते है। रोगियों को मस्तिष्क में रक्त स्राव, किडनी फेल्योर, आँखों की रोशनी अचानक चले जाने जैसी जटिलताओं के साथ हाई ब्लड प्रेशर होने का पता चलता है। यही वजह है कि हाई ब्लड प्रेशर को “साइलेंट किलर” कहा जाता है। इसलिए, हर वयस्क, खासकर 30 वर्ष की उम्र के बाद, को नियमित रूप से अपना रक्तचाप मापवाना चाहिए। यह एक छोटा सा कदम है, जो जिंदगी बदल सकता है। लेकिन केवल ब्लड प्रेशर मापना ही काफी नहीं है। हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए हमें चिकित्सक के मार्गदर्शन में उपचार के साथ-साथ अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने होंगे। नियमित व्यायाम, जैसे साइक्लिंग, योग, या तेज चलना, रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।

संतुलित आहार, जिसमें नमक कम हो, फल-सब्जियां अधिक हों, और प्रोसेस्ड फूड से दूरी हो, रक्तचाप को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है। धूम्रपान और शराब से बचना, पर्याप्त नींद लेना, और तनाव प्रबंधन के लिए ध्यान या प्राणायाम जैसी तकनीकों को अपनाना भी जरूरी है। जिन्हें उच्च रक्तचाप का निदान हो चुका है, उन्हें एलोपैथी डॉक्टर (फिजिशियन) की सलाह पर नियमित दवाएं लेनी चाहिए। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाली दवाओं को कभी भी अपनी मर्जी से बंद नहीं करना चाहिए, भले ही आप “ठीक” महसूस करें। साथ ही, नेत्र स्वास्थ्य के लिए, उच्च रक्तचाप के मरीजों को साल में कम से कम दो बार आँखों (रेटिना) की जांच करवानी चाहिए। यह जांच रेटिना में होने वाली क्षति को शुरुआती स्तर पर पकड़ सकती है, जिससे समय रहते इलाज हो सके।

इस विश्व उच्च रक्तचाप दिवस दिनाँक 17 मई पर, आइए हम एक संकल्प लें। हम न केवल अपना रक्तचाप मापवाएंगे, बल्कि अपने परिवार और दोस्तों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। यह केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक वैश्विक महामारी के रूप में तेजी से बढ़ता “साइलेंट किलर” है, जो धीरे-धीरे हमारे हृदय, गुर्दे, और आँखों को स्थायी क्षति पहुंचा रहा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इसे रोका जा सकता है। ब्लड प्रेशर को मापा जा सकता है, नियंत्रित किया जा सकता है, और इससे होने वाली जटिलताओं को टाला जा सकता है। जरूरत है तो बस जागरूकता, सतर्कता, सकारात्मक जीवन शैली एवं नियमित चिकित्सा की। उच्च रक्तचाप के रूप में व्याप्त “साइलेंट किलर” को जानकारी, जागरूकता, नियमित उपचार एवं सकारात्मक जीवन शैली से नियंत्रित किया जा सकता है।

आइए, इस वर्ष 17 मई 2005 को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि हम अपनी और अपनों की सेहत के लिए एक कदम उठाएंगे। नियमित चिकित्सकीय परामर्श से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर, स्वस्थ जीवन जिएंगे। यह केवल हमारे स्वयं के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे सभी परिजनों के लिए अति आवश्यक है। हमारी किडनी, हमारी आँखें, हमारा हृदय, हमारा मस्तिष्क, हमारी बहुमूल्य जिंदगी—ये सब अनमोल हैं। इन्हें “साइलेंट किलर” से बचाने का रहस्य हमारी जागरूकता, नियमित परामर्श, नियमित उपचार एवं स्वस्थ जीवन शैली में निहित है।

डॉ. विदुषी शर्मा
(एम.डी., नेत्र रोग विज्ञान, एम्स, नई दिल्ली ), नेत्र सर्जन, सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा

डॉ. सुरेश पाण्डेय
नेत्र सर्जन, प्रेरक वक्ता, लेखक
सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा

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