
– अंगदान जागरूकता व्याख्यान में डॉ.नीलेश जैन एवं डॉ.विकास खंडेलिया ने किया कोचिंग स्टूडेंट्स को सम्बोधित
कोटा. मेडिकल कॉलेज कोटा की ओर से अंगदान जागरूकता को लेकर अलग-अलग स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत कोचिंग स्टूडेंट्स को भी जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में मेडिकल कॉलेज कोटा की ओर से एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में अंगदान जागरूकता व्याख्यान आयोजित किया गया। यहां मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को अंगदान के बारे में जागरूक किया गया। व्याख्यान में मेडिकल कॉलेज के सुपरस्पेशलिटी यूनिट के अधीक्षक एवं यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ.नीलेश जैन तथा नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ.विकास खंडेलिया ने अपनी बात कही।
जवाहर नगर स्थित एलन समुन्नत कैम्पस में आयोजित व्याख्यान में डॉ.नीलेश जैन ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान में भारत का इतिहास बहुत पुराना है। अंगदान और अंग प्रत्यारोपण के उदाहरण के रूप में भगवान गणेश से शुरुआत मानी जा सकती है। सुश्रुत के रूप में भी भारतीय इतिहास सर्जरी में विशेषज्ञता को प्रदर्शित करता है। इतना समृद्ध इतिहास होने के बावजूद आज हम अंगदान के क्षेत्र में दुनिया में सबसे पीछे वाले देशों में शामिल हैं। हमें जागरूकता के माध्यम से लोगों के जीवन को बचाने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करना है।
डॉ.विकास खंडेलिया ने प्रजेन्टेशन के माध्यम से कहा कि जीवित तथा ब्रेन डेड दोनों तरह से अंगदान किए जा सकते हैं। मृत व्यक्ति के अंग यदि किसी के काम आते हैं तो वो मरने के बाद भी किसी के लिए जीवन देने का काम करता है। दुनिया में स्पेन में सर्वाधिक अंग दान होते हैं, वहीं भारत सबसे अंतिम देशों में शामिल है। देश में हर वर्ष 5 लाख व्यक्तियों की मौत आर्गन फैल्योर के कारण होती है, वहीं डेढ लाख व्यक्तियों की मौत दुर्घटनाओं में होती है। यदि अंगदान होता है तो हजारों लोगों को नया जीवन दिया जा सकता है।
डॉ.खंडेलिया ने कहा कि आप सभी स्टूडेंट्स एक संदेश वाहक के रूप में समाज से जुड़े हुए हैं। अपने मित्रों, परिजनों को इस बारे में बताएं। रक्तदान की तरह ही अंगदान करके किसी का जीवन बचाने के लिए आगे आएं। इस तरह के कार्यक्रम अब लगातार आगे भी आयोजित किए जाते रहेंगे।
















