
-टिप्पणी पर बवाल, तेज हुए विरोध के सुर
-द ओपिनियन-
द्रविड़ मुनेत्र कषगम या द्रमुक अपनी स्थापना के समय से सामाजिक न्याय की झंडाबरदार रही है और उत्तर भारत की राजनीति में मंडल के प्रवेश से पहले दक्षिण भारत की राजनीति में कई सामाजिक बदलाव शुरू हो गए थे। लेकिन लगता है द्रमुक अब खुद ही सामाजिक न्याय की राह भूल गई है, अन्यथा उसकी नई पीढ़ी के नेता उदयनिधि स्टालिन ऐसा बयान क्यों देते जिससे सामाजिक समरसता में खटास पैदा होने का डर हो। समझ में नहीं आता उदयनिधि को सनातन से क्या बैर है।
उदयनिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे हैं व तमिलनाडु सरकार में मंत्री भी है। द्रमुक दर्शन के साथ सामाजिक न्याय की बातें उनके जीवन में रची-बसी हैं , लेकिन सनातन धर्म को लेकर की गई उनकी एक टिप्पणी पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। उदयनिधि ने शनिवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम में सनातन धर्म की तुलना डेंगू मलेरिया से की थी। उन्होंने कहा, कुछ चीजें हैं, जिन्हें हमें खत्म करना है और हम सिर्फ विरोध नहीं कर सकते. मच्छर, डेंगू, कोरोना और मलेरिया ऐसी चीजें हैं, जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें उन्हें खत्म करना है।. सनातनम (सनातन धर्म) भी ऐसा ही है। सनातन का विरोध नहीं, बल्कि उन्मूलन करना हमारा पहला काम है। उदयनिधि ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब चार राज्यों में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं और अगले साल देश में आम चुनाव होने हैं। साफ है इस तरह के बयानों से सियासी व सामाजिक पारा चढ़ जाता है।
हमारी सामाजिक अवधारणा अलग अलग हो सकते हैं, किसी भी अन्य व्यक्ति की सामाजिक अवधारणा या आस्था से हम असहमत हो सकते हैं, लेकिन उसके उन्मूलन की बात कैसे कह सकते हैं। लगता है उदयनिधि असहमति व उन्मूलन का अर्थ ही भूल गए हैं। उनके इस बयान पर देश में विरोध के सुर उठ रहे हैं। इसका विरोध होना स्वाभाविक भी है। भाजपा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राजस्थान के दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने उदयनिधि के बयान पर पलटवार किया है। भाजपा ने विपक्षी गठबंधन इंडिया पर भी सवाल उठाया है। अमित शाह ने कहा कि दो दिन से इंडिया गठबंधन सनातन धर्म का अपमान कर रहा हैै। उन्होंने द्रमुक के साथ कांग्रेस को भी आड़े हाथ लिया है। शाह ने आरोप लगाया कि डीएमके व कांग्रेस के नेता तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए सनातन धर्म को बदनाम कर रहे हैं। वहीं भाजपा के नेता शाहनवाज हुसैन ने उदयनिधि की टिप्पणी पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि कांग्रेस पार्टी और इंडिया गठबंधन के दूसरे सदस्यों को अपनी राय स्पष्ट करनी चाहिए कि वे लोग इकठ्ठे होकर गठबंधन बना रहे हैं या सनातन धर्म को खत्म करने के लिए इस तरह की बयानबाजी करवा रहे हैं? तमिलनाडु में अभी विधानसभा चुनाव दूर हैं और लोक सभा चुनाव भी अगले साल होने वाले हैं, ऐसे में उदयनिधि मारन ने यह सियासी तीर किस मकसद से चलाया है, समझ से परे है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उदयनिधि की टिप्पणी पर सवाल खड़े किए है। उदयनिधि को बतौर एक राजनीतिज्ञ इस तरह की अपरिपक्वतापूर्ण टिप्पणी नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे हमारे सामाजिक ताने बाने पर भी आंच आते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दक्षिण भारत से आई भक्ति परम्परा ने किस तरह उत्तर में पहुंच न केवल सनातन को मजबूत किया बल्कि सामाजिक चेतना के भी नए द्वार खोले थे। उदयनिधि इस धारा को मोड़ने का प्रयास न करें तो ही देश व समाज का भला होगा। वे द्रविड आंदोलन के समाजिक न्याय को आगे बढाएं और जो कमियां उनको नजर आती हैं, उनको दूर करने के लिए कदम उठाएं लेकिन सनातन के वट वृक्ष को उखाड़ने वाली बातों से उन्हें परहेज करना चाहिए।