खाद्यान के बढ़ते दाम से आमजन हलकान

-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

चेन्नई। सखी सैंया तो खूबे कमात हें, महंगाई डायन खाए जात हैं। वैसे तो यह फिल्म पीपली लाइव का गाना है, लेकिन इस गीत की कांग्रेसनीत यूपीए टू गठबंधन सरकार को 2014 में सत्ता से बेदखल करने में एक भूमिका रही थी।
कमोबेश देश में महंगाई की चरम सीमा पर है। जो मौजूदा केंद्र सरकार के लिए चुनौती भरी है। बहरहाल आम चुनाव होने में महज 10 महीने शेष बचे हैं ऐसे में महंगाई का चरम पर होना नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे एनडीए सरकार के लिए खतरे की घंटी है।
यह बात अलग है की नरेंद्र मोदी एवं उनके कार्यकर्ता पिछले 9 सालों में केंद्रीय योजनाओं और उनसे हुए लाभों के बारे में आमजन को आश्वस्त करने के भरसक प्रयास कर रहे हैं बावजूद इसके महंगाई और बेरोजगारी ऐसे मुद्दे हैं जिस पर मोदी सरकार अब तक लगाम लगाने पर नाकामयाब साबित हो रही है। भारी बारिश एवं बाढ के कारण देश के दर्जनों राज्य परेशान हैं वहां आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका हैं वही देश के हर हिस्सों में बढ़ती महंगाई आमजन के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। दक्षिण,उत्तर ,पूरव, पश्चिम चारों तरफ महंगाई रूपी दानव ने लोगों की नींद हराम कर रखी है। हालांकि कुछ विदेशी एजेंसियों द्वारा जारी गरीबी रेखा से जुड़े सर्वे के अनुसार भारत में 41 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से बाहर हुए हैं लेकिन आमजन के मौजूदा हालात देखने से ऐसा नहीं लगता की आकड़े सही हैं।
बताते चलें कि मीडिया में अक्सर टमाटर और प्याज की बढ़ती कीमतों को ही सर्वाधिक दिखाते हैं। लेकिन देश में सिर्फ सब्जियों के भाव ही आसमान नहीं छू रहे अन्य खाद्यान्न पदार्थ जो रोजमर्रा के जीवन में रसोई के लिए जरूरी है उसकी बढ़ती कीमतें आमजन के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं।
सब्जियों में टमाटर 120 से 150, अदरक 280 रूपये, सांभर प्याज 150 से 200 रुपए साबुत धनिया 175, हरी मिर्च 90 से 100 रुपए चेन्नई के बाजारों में बिक रहे हैं।
वही ं दलहन में तूर दाल 160 से 170 जीरा 300 से 500 लहसुन 100 से 110 काली मिर्च 500 से 550 रुपए बिक रहे।
वही रसोई गैस का सिलेंडर प्रति 1150 से 1200 मिल रहे हैं। चेन्नई के बाजारों में गेंहूँ 30 प्रति किलो है वही गेहूं का आटा 40 से 50 किलो हैं। चावल के 25 किलो की बोरियां 1300/1400 जो साधारण एवं मध्यम वर्गीय परिवार के लिए परेशानी पैदा कर रही है।
जबकि सामान्यतः लोगों की तनखाह बढ़ नहीं रही है। एक ओर बढती महगाई और दूसरी ओर वेतन जस के तस होने के कारण लोग परिवार का भरणपोषण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। महगाई पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार एक दूसरे पर दोष मढ रहे हैं। लेकिन महंगाई की चक्की में आमजन पिस रहा है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने खाद्यान्न की बढ़ती कीमत पर चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित विभाग को जमाखोरों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। टमाटर की बिक्री राशन की दुकानों के माध्यम से की जा रही है। कई जगह 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से टमाटर बिक भी रहे हैं। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने खाद्य आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल को भी पत्र के माध्यम से तूर दाल और गेहूं के 10000 टन आपूर्ति करने की मांग की है।
तमिलनाडु फेडरेशन आफ ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम राजा के मुताबिक़ अधिकांशतः खाद्यान्न सामग्रियां सड़क मार्ग से मंगाई जाती हं।ै बढ़ते टोल टैक्स एवं ट्रांसपोर्टेशन चार्ज के कारण सभी प्रोडक्ट पर 10 प्रतिशत से भी खर्चे अधिक हो जाते हैं। तमिलनाडु में बिजली की दरों में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। सभी खाद्य पदार्थों को लोडिंग अनलोडिंग में भी मजदूरी बढ रही हैं इसलिए खाद्य पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी हुई है। वही सेंट्रल चेन्नई के तमिलनाडु ट्रेडर्स एसोसिएशन अध्यक्ष सेमुअल का कहना है की तूर दाल का इंपोर्ट केन्या और तंजानिया से होता है जो पिछले कुछ दिनों से घट गया हैं। उसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों से भी दाले मंगाई जाती है जो पिछले कुछ महीनों से हो रहे बारिश हो के कारण रुक गए हैं जिसके वजह से खाद्यान्नों के दाम में बढ़ोतरी हुई है।
वहीं सब्जी मंडी के अधिकांश विक्रेताओं का कहना था की सब्जियों के भाव अगले हफ्ते तक कम हो जाएगा क्योंकि धीरे-धीरे सब्जियों की आवक बढ़ रही हैं।
बहरहाल मई महीने के मुकाबले जून और जुलाई में सामान्यतः 4.81 प्रतिशत महगाई बढी है।
(लेखक तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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