गांधी इसीलिए महान हैं क्योंकि उन्होंने जनता को अराजकता की भेंट नही चढ़ने दिया

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प्रतीकात्मक एआई इमेज

Hafeez Kidwai

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हफीज किदवई

जो नेपाल की हिंसा-अराजकता से दुःखी हैं । वहअक्सर गांधी से भी बहुत दुःखी रहते हैं । इनमे से सैकड़ो मिल जाएंगे जो गांधी के असहयोग आंदोलन को वापस लेने पर गांधी की आलोचना करते हैं । याद करिए चौरा चौरी को और याद कीजिये कि गांधी ने उस एक हिंसा के बदले, पूरा असहयोग आंदोलन वापस लिया । जिसकी तब भी अलोचना हुई,आज भी कुछ लोग करते हैं। जबकि हम गांधी के उस फैसले के साथ हमेशा खड़े हैं।

नेपाल हो या बंगलादेश, जिन्हें भी यह अराजकता,यह हिंसा बुरी लग रही है । वह कम से कम एक बार तो कह दें कि गांधी सही थे। असहयोग आंदोलन अगर वापस न होता, तो जनता अराजक हो जाती,अहिंसा कभी वह असर न दिखा पाती, जो उसने दिखाया ।

मैं हमेशा से कहता रहा हूँ,रास्ते आपकी सुविधा से नही बनेंगे । विचारधारा के रास्ते तय हैं, आप बताओ कि आप किस पर चलोगे। हिंसा और अराजकता गलत है, तो ग़लत है। इसमें लेकिन वेकिन लगाने की गुंजाइश नही है । गांधी इसीलिए महान हैं क्योंकि उन्होंने अपने देश की जनता को अराजकता की भेंट नही चढ़ने दिया। गांधी ने एक भी कदम ऐसा नही उठाया,जिससे मानवता शर्मसार हो ।

तो भाई लोग,अराजकता की आलोचना तो करो मगर ज़रा गांधी को भी सम्मान दे दो । कम से कम तुम्हारे हृदय में हिंसा की अराजकता के विरोध के बीज तो जन्में, यही बहुत है ।

गांधी ने तो हमेशा साधन और साध्य की पवित्रता की वकालत की है । उससे हम।लोग जुड़े हैं ।।हम हमेशा अराजकता,हिंसा,नफरत,अलगाव के खिलाफ ही हैं । बस यह जगह,मुँह, धर्म,चेहरे देखकर नही बदलता । जो नेपाल में ग़लत है, वही हमारे यहां भी गलत है बाकी आप जानो,अपनी सुविधा से हीरो और नियम बदलते रहो । हमारा एक हीरो गांधी और उनकी ज़िंदगी हमारा नियम….

नेपाल के युवाओं को अराजकता छोड़नी होगी,तभी कोई रास्ता निकलेगा । कुछ लोगों ने बंगाल की हिंसा को धार्मिक हिंसा का रंग दिया था ।।अब नेपाल में भी ज़रा धार्मिक चश्मा लगाकर देखें ।।हम तो हमेशा कहते हैं कि हिंसा तो हिंसा है ।।अराजकता तो अराजकता है, कहीं भी हो गलत है । कोई भी करे गलत है मगर आप ही हो जिन्हें रंग,रूप,नस्ल,क्षेत्र,धर्म,जाति,कपड़े देखकर ग़लत को ग़लत कहने की आदत है ।

हम गांधी के लोग ऐसी हर हिंसा-अराजकता के विरुद्ध हैं ।।हम लोग बात चीत के और शांतिपूर्ण विरोध के पैरोकार हैं और रहेंगे…
(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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