बिखरे अन्नाद्रमुक से गठबंधन नहीं चाहती है भाजपा

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-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

(तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार)

चेन्नई। तमिलनाडु में गणेश चतुर्थी के अवसर पर आखिकार भाजपा और एआईएडीएमके का गठबंधन का पटाक्षेप हो ही गया। और इस गठबंधन से एआईडीएमके खुद अलग हो गई। पूर्व मंत्री डी जयकुमार के अनुसार नोटा से भी कम महत्व रखने वाली भाजपा को हम ढो रहे थे, उसके नेता हमारे आदर्श और पूर्व के नेताओं पर अनाप-शनाप बोल रहे थे। हमारी पार्टी को भ्रष्टाचार के कटघरे में खड़ा कर रहे थे इसलिए हमने भाजपा से संबंध खत्म कर लिए है। उनका कहना था कि भाजपा अध्यक्ष के अनामलै प्रखर द्रविड़ नेताओं पेरियार, सीएन अन्नादुरई और जयललिता जैसी राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ बोलते रहे हैं जो हमारे लिए बर्दाश्त से बाहर था। हमारे नेताओं पर अनावश्यक भ्रष्टाचार के आरोप लगाना एक गठबंधन में रहने वाली पार्टी के लिए उचित नहीं था। बावजूद इसके पिछले 7 सालों से हमने भाजपा के साथ गठबंधन धर्म निभाया। लेकिन इस बोझ को हम आगे नहीं ढो सकते।


तमिलनाडु में राजनीति के जानकार बताते हैं कि यह गठबंधन लंबे समय तक अलग नहीं रह सकता और लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से इनमें मिलाप हो जाएगा। दूसरी तरफ गठबंधन टूटने से तमिलनाडु बीजेपी खेमे में बेहद उत्साह नजर आ रहा है। भाजपा के कार्यकर्ता और नेता गठबंधन टूटने से जश्न मना रहे हैं लड्डू बांटे जा रहे हैं।

लोकसभा में सीटों के लिए भी हो रही थीे तकरार
राजनीतिक जानकारों की माने तो भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु की 39 सीटों में से 20 सीटों पर अपनी दावेदारी जता रही थी जबकि इपीएस 15 सीट अमित शाह को देने को राजी हो रहे थे। लेकिन भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह को बिखरे हुए एआडीएमके से ऐतराज है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है की एआईएडीएमके फिर से एकजुट हो जाएं और वीके शशिकला, ओ पनीरसेल्वम, टीटीवी दिनकरण को भी साथ लिए जाएं। ताकि लोकसभा चुनाव में डीएमके को तमिलनाडु में शिकस्त दी जा सके। लेकिन एडापाडि पलनीस्वामी किसी कीमत पर ओपीएस को साथ लेने की मुड में नहीं हैं।
यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि भाजपा और एआईएडीएमके का गठबंधन अभी तक बेहतर नहीं रहा है। जहां 2004 में भाजपा और अन्नाद्रमुक के गठबंधन ने सभी सीटें गवाई वही ं 2019 में भाजपा एआईएडीएम के गठबंधन को महज 1 सीट पर संतोंष करना पड़ा था।
हालांकि 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा एआईएडीएमके के गठबंधन में भाजपा ने चार सीटों पर जीत दर्ज कर तमिलनाडु में अपनी स्थिति मजबूत की वही एम के को 75 सीटों पर सिमटना पड़ा।
बहरहाल भाजपा और एआईएडीएमके ने अपने अलग-अलग रास्ते चुन लिए हैं और भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में पदयात्रा पर हैं। ग्रामीणों में भाजपा को बेहतर समर्थन मिल रहा है क्योंकि वह प्रमुख दलों एआईएडीएमके और डीएमके दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में अन्नाद्रमुक ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर अपना रास्ता अलग कर लिए हैं अब देखना यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले दोनों गले मिलते हैं या फिर रास्ते अलग-अलग।
बताते चलें कि पिछले दिनों सनातन धर्म पर डीएमके नेताओं के विवादित बयान के बावजूद प्रमुख विपक्षी दल एआईएडीएमके सत्ताधारी डीएमके पर आक्रामक नहीं नजर आई क्योंकि तमिलनाडु की राजनीति की रूपरेखा ही सनातन विरोधी रही है।

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