रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रयास तेज करने की जरूरत

हालांकि पिछले सात आठ साल से भारत हथियार निर्यात बाजार में अपनी जगह बना रहा है और उसका हथियार निर्यात भी बढ़ा है लेकिन उसे आत्मनिर्भर होने में अभी लगता है समय लगेगा। जटिल हथियार प्रणालियों के लिए हम आज भी दुनिया के हथियार निर्यातक देशों पर निर्भर है। भारत मुख्य रूप से रूस के बाद फ्रांस, अमेरिका, इजराइल से हथियार खरीदता है। हालांकि अन्य कई देशों से भी हथियार प्रणालियां आयात की जाती हैं लेकिन मुख्य आपूर्तिकर्ता देश यही हैं।

130mm catapult
डीआरडीओ की वेबसाइट से साभार

भारत अब भी हथियार आयातक देशों में शीर्ष पर

-द ओपिनियन-

भारत ने रक्षा क्षेत्र में पिछले सात आठ साल में आत्मनिर्भरता के प्रयास तेज किए हैं और उसके सार्थक नतीजे भी सामने आने लगे हैं। पिछले पांच साल में देश का रक्षा निर्यात बढ़ा है लेकिन हमारे रक्षा आयात की तुलना में यह बहुत कम है। स्टाकहाॅम से आई यह खबर चिंता बढाने वाली है, जिसमें कहा गया है कि भारत दुनिया में हथियारों का आयात करने वाले देशों में शीर्ष पर बरकरार हैं। हालांकि आयात में 11 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन फिर भी हम हथियारों का आयात करने वाले देशों में शीर्ष पर हैं। स्टाकहाॅम स्थित थिंक टैंक स्टाॅकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सिपरी की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के हथियार आयात में गिरावट की वजह जटिल खरीद प्रक्रिया, शस्त्र आपूर्तिकर्ता में विविधता लाना और आयात के स्थान पर घरेलू डिजायन को तरजीह देना है। सिपरी के अनुसार दुनिया में पांच सबसे बड़े हथियार आयातकों में भारत, सउदी अरब, कतर ऑस्ट्रेलिया और चीन हैं। हालांकि पिछले सात आठ साल से भारत हथियार निर्यात बाजार में अपनी जगह बना रहा है और उसका हथियार निर्यात भी बढ़ा है लेकिन उसे आत्मनिर्भर होने में अभी लगता है समय लगेगा। जटिल हथियार प्रणालियों के लिए हम आज भी दुनिया के हथियार निर्यातक देशों पर निर्भर है। भारत मुख्य रूप से रूस के बाद फ्रांस, अमेरिका, इजराइल से हथियार खरीदता है। हालांकि अन्य कई देशों से भी हथियार प्रणालियां आयात की जाती हैं लेकिन मुख्य आपूर्तिकर्ता देश यही हैं।
दूसरी ओर विभिन्न रक्षा परियोजनाओं में हो रही देरी से भी चिंता का विषय है। रक्षा राज्यमंत्री अजट भट्ट ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के 23 प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं। रक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि यह प्रोजेक्ट बहुत ही अहम है और देश को आत्मनिर्भर बनाने में इनकी महती भूमिका होगी। साफ है अहम रक्षा परियोजनाओं को युद्ध स्तर पर पूरा किया जाना बहुत जरूरी है। लेकिन यह भी सत्य है कि रक्षा अनुसंधान बहुत श्रम साध्य और समय लगने वाला काम है। जैसा कि रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने बताया कि डीआरडीओ के 55 उच्च प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट्स में से 23 तय समय से देरी से चल रहे हैं। इन 23 में से 9 प्रोजेक्ट की लागत भी काफी बढ़ गई है। उच्च प्राथमिकता वाले 55 प्रोजेक्ट्स में एंटी एयर फील्ड हथियार, सॉलिड फ्यूल वाला रैमजेट इंजन, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एंटी शिप मिसाइलें, लॉन्ग रेंज रडार, जैसे अहम प्रोजेक्ट शामिल हैं।
देश की सीमाओं पर बढती चीन और पाकिस्तानी सैन्य आक्रामकता के चलते हम सैन्य तैयारियों में कोई ढील नहीं दे सकते। भारत जटिल और अत्याधुनिक या कटिंग एज टैक्नोलाॅजी में निरंतर आगे बढ़ रहा है लेकिन इसमें आत्म निर्भरता होना बहुत जरूरी है। जैसो तत्कालीन सीडीएस जनरल बिपिन रावत कहते थे यदि युद्ध की नौबत आए तो हम अगला युद्ध अपने हथियारों के बूते पर लड़ें और जीत हासिल करें।

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