
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद राजनीतिक गलियारों में और मुख्य धारा की मीडिया में, इंडिया गठबंधन की एकता को लेकर चर्चा होने लगी। इंडिया गठबंधन में दरार पडने की अटकलें लगाई जाने लगी। यह अटकलें इसलिए क्योंकि शिवसेना उद्धव के नेता संजय राउत और आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल, ने हरियाणा चुनाव के परिणाम आने के बाद बयान दिए थे कि नेताओं को कभी घमंड नहीं करना चाहिए। इसका अर्थ राजनीतिक पंडितों ने यह लगाया कि हरियाणा में कांग्रेस घमंड के कारण हारी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था और इंडिया गठबंधन मजबूत हुआ था तब भी विपक्ष के इन नेताओं के यही बयान आए थे कि भारतीय जनता पार्टी को घमंड होने के कारण जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं दिया। उस समय अरविंद केजरीवाल और संजय राउत ही बता रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घमंड के कारण केंद्र में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, इसलिए यह कहना कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए इसलिए इंडिया गठबंधन में दरार आ जाएगी, यह कहना जल्दबाजी होगा। इंडिया गठबंधन का प्रमुख घटक दल कांग्रेस भले ही हरियाणा में अपनी सरकार नहीं बन पाई लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे में अभी भी बहुत बड़ा राजनीतिक दम है, और दोनों नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की नीतियों को देश की जनता के सामने बेपर्दा करने की ताकत रखते हैं। ऐसी ताकत इंडिया गठबंधन के और किसी नेता में ना तो देखने को मिल रही है और ना देखने को मिलेगी। भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलने से राहुल गांधी ने भारत जोड़ो और भारत जोड़ो न्याय यात्रा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ अभियान ने रोका था। यदि राहुल गांधी पदयात्रा नहीं करते और मल्लिकार्जुन खरगे आरक्षण बचाओ और संविधान बचाओ का नारा देश भर में बुलंद नहीं करते तो ना तो कांग्रेस को इतनी सीट मिलती और ना ही इंडिया गठबंधन के घटक दलों को इतनी सीट मिलती। भारतीय जनता पार्टी 400 पार सीट जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ आज सरकार में होती।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और मल्लिकार्जुन खरगे के संविधान बताओ और आरक्षण बचाओ अभियान से पहले कांग्रेस और विपक्षी दलों की क्या हालत थी यह सब को पता है। भारतीय जनता पार्टी विपक्षी दलों को तोड़कर नए दल बना कर विपक्षी दलों को कमजोर कर रही थी, और विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में पहुंचा रही थी। उस समय राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा कर विपक्ष को ताकत दी और विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में 234 लोकसभा की सीट जीती और भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने से रोका। हरियाणा का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस कमजोर नहीं हुई है बल्कि उसके नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे आज भी मजबूती के साथ भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए मैदान में है। विपक्ष की पार्टियां हरियाणा चुनाव में हार पर कांग्रेस पर संदेह कर रही हैं उन्हें यह समझना होगा कि वह पार्टी या कांग्रेस के कारण ही मजबूत हुई थी। भारतीय जनता पार्टी ने तो उन पार्टियों को या तो कमजोर किया या फिर खत्म किया। इसका उदाहरण उड़ीसा में बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी हैं, जो भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन देते रहे और भारतीय जनता पार्टी उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में मजबूत होती रही। आज दोनों ही नेता अपने-अपने राज्यों की सत्ता से बाहर हो गए। उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अपनी सरकार बनाई और आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी को आंध्र की सत्ता से बाहर किया। जबकि इन्हें कांग्रेस ने नुकसान नहीं पहुंचाया और ना ही कांग्रेस की वजह से यह सत्ता से बाहर हुई। शिवसेना को भी भारतीय जनता पार्टी ने ही तोड़ा था। कांग्रेस ने तो शिवसेना को महाराष्ट्र में अपना समर्थन देकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनवाई थी।
सही मायने में देखा जाए तो विपक्षी दलों का भविष्य कांग्रेस पर ही निर्भर है। यदि कांग्रेस मजबूत होगी तो विपक्ष भी मजबूत होगा इसलिए विपक्षी दल कांग्रेस को कमजोर बताने और करने की चेष्टा ना करें तो उनके लिए राजनीतिक रूप से बेहतर होगा। वरना भारतीय जनता पार्टी उड़ीसा और आंध्र की तरह अन्य राज्यों में भी सत्ता में बैठे विपक्षी दलों को सत्ता से बाहर का रास्ता बताने में देर नहीं लगाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















