कांग्रेस ‘मेरा वोट मेरा अधिकार’ मिशन को लेकर आयोजित करे यात्रा!

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-देवेन्द्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

कांग्रेस ने गत विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और दिल्ली में खोज कर अपने लिए यात्राओं के माध्यम से वोट ढूंढे थे मगर दोनों ही राज्य में कांग्रेस बुरी तरह से विधानसभा चुनाव हारी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मात्र दो विधानसभा सीट जीतने का अवसर मिला तो दिल्ली में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। बल्कि कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याशियों की जमानत जप्त हुई। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में लड़की हूं लड़ सकती हूं यात्रा निकाली। दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव की अगवाई में यात्रा निकाली। लेकिन यात्रा का प्रभाव मतदाताओं पर दोनों ही राज्यों में नहीं पड़ा। कांग्रेस का पैसा और समय बर्बाद हुआ। इसका बड़ा कारण यह रहा की यात्राओं मैं कांग्रेस के रणनीतिकारों ने चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों की खोज नहीं की और ना ही ईमानदार और वफादार कार्यकर्ताओं की खोज की। उन्होंने खोज की ऐसे कार्यकर्ताओं की जो यात्रा में भीड़ बने और उन्हें ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने समझ लिया की यही कांग्रेस के ईमानदार और वफादार कार्यकर्ता हैं जो चुनाव जीत सकते हैं। उनमें से कांग्रेस ने चुनाव में अपना प्रत्याशी बना दिया और कांग्रेस बुरी तरह से चुनाव हार गई।
उत्तर प्रदेश और दिल्ली से सबक सीखे बगैर कांग्रेस ने बिहार में भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक ऐसी ही यात्रा का शुभारंभ कर दिया है। इस यात्रा का नेतृत्व कन्हैया कुमार कर रहे हैं। एक सवाल जो खड़ा हो रहा है वह यह है कि राहुल गांधी मध्य प्रदेश के एक कार्यकर्ता का वक्तव्य अक्सर अपनी सभा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सुनाते हैं। रेस वाले घोड़े और शादी वाले घोड़े। राहुल गांधी बताते हैं कि रेस वाले घोड़े क्या होते हैं और शादी वाले घोड़े क्या होते हैं।लेकिन सवाल यह है कि राहुल गांधी ने अपने चुनावी रणनीतिकारों के कहने पर बिहार में कन्हैया कुमार को यात्रा की कमान दी है। वह कन्हैया कुमार रेस वाले घोड़े हैं या फिर शादी वाले घोड़े हैं क्योंकि कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को रेस में भी दौड़ाया और शादी में भी खड़ा किया। कन्हैया कुमार रेस लगाकर 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की एक सीट से लोकसभा के प्रत्याशी बने थे और चुनाव हार गए। 2019 में भी कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय से भी लोकसभा का चुनाव हारे थे। अब प्रश्न यह है कि कन्हैया कुमार रेस का घोड़ा है या फिर शादी वाला घोड़ा हैं। दरअसल कांग्रेस और राहुल गांधी शायद समझ ही नहीं पा रहे हैं कि रेस वाला घोड़ा और शादी वाला घोड़ा होता क्या है। यदि बिहार की बात करें तो कांग्रेस खाली घड़ा लेकर पानी ढूंढ रही है। जबकि कांग्रेस के पास 2024 के लोकसभा चुनाव में ही पानी से भरा हुआ कुआं आ गया था। लेकिन बिहार में कांग्रेस कुएं को छोड़कर अभी भी खाली घड़े को लेकर पानी ढूंढ रही है। जहां तक बिहार में रेस वाले घोड़े की बात करें तो वह हैं पप्पू यादव। उनके रग रग में कांग्रेस की विचारधारा है और जिन्होंने प्रियंका गांधी के आग्रह पर लोकसभा चुनाव से पहले अपने क्षेत्रीय दल को कांग्रेस में मर्ज कर लिया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने पूर्णिया लोकसभा सीट को भारी मतों से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत ली। पप्पू यादव ने कांग्रेस की विचारधारा को नहीं त्यागा और कांग्रेस के साथ दीवार की तरह खड़े रहे।
कांग्रेस के लिए बिहार में मजबूत घोड़ा पप्पू यादव हैं जो गत विधानसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस के लिए दौड़े थे और कांग्रेस ने 16 विधानसभा सीट जीती थी। वफादारी और ईमानदारी का पैमाना क्या होता है शायद अभी भी राहुल गांधी और कांग्रेस हाई कमान को समझ नहीं आ रहा है। राहुल गांधी अभी भी नकारा चुनावी रणनीतिकारों के दलदल में फंसे नजर आ रहे हैं। गत दिनों राहुल गांधी ने भी कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। इसका जनता पर भारी प्रभाव पड़ा था और कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीती थी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव जनता के दिलों पर अभी भी है मगर राज्य दर राज्य कांग्रेस के रणनीतिकार यात्राएं निकालकर और उन राज्यों में विधानसभा का चुनाव हार कर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव कम करने में जुटे हुए हैं। स्वयं राहुल गांधी को मंथन करना होगा और यह समझना होगा कि राज्यों में नेताओं के द्वारा की जा रही यात्राओं से कांग्रेस को कितना फायदा और कितना नुकसान हुआ।
बेहतर यह होता कि कांग्रेस बिहार में यात्रा निकालती लेकिन यात्रा निकालती मेरा वोट मेरा अधिकार को लेकर। अभी बिहार में वोटर लिस्ट बनाने का कार्य चल रहा होगा। कांग्रेस के नेता घर-घर जाकर मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाए और मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब न हो इस पर ध्यान देते। इससे कांग्रेस हाई कमान को पता चलता कि बिहार में कांग्रेस है या नहीं, और इसकी मॉनिटरिंग करते बिहार के प्रभारी कृष्ण अल्लावरु। बिहार में विधानसभा चुनाव होने में अभी लगभग 6 महीने का समय है। कांग्रेस को बिहार में मेरा वोट मेरा अधिकार मिशन शुरू करना चाहिए। कांग्रेस को यात्रा इस अभियान के साथ करनी चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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