
-गले मिले, शिकवे हुए दूर
-देवेंद्र यादव-

दूरी न रहे कोई आज इतने करीब आ जाओ, मैं तुम में समा जाऊं तुम मुझ में समा जाओ ”
बिहार के पटना में शनिवार 18 जनवरी को कुछ ऐसा ही नजारा उस समय देखने को मिला, जब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पटना पहुंचे। पटना के मौर्य होटल मैं राजद नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी का मिलन हुआ। दोनों का मिलन, कुछ समय बाद पारिवारिक मिलन में बदल गया। राहुल गांधी पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के निवास पर पहुंचे, जहां लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी को अपने गले लगाया। राहुल गांधी और लालू यादव परिवार के बीच खुले आकाश तले कुछ गुफ्तगू भी हुई और नाश्ता भी हुआ। माहौल एकदम राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक अधिक लगा। लालू प्रसाद परिवार राहुल गांधी को अपनी गौशाला दिखाने ले गए जिसकी मीडिया और राजनीतिक गलीयारों में खूब चर्चा रही। चर्चा की राजनीतिक वजह इसलिए थी क्योंकि कुछ समय पहले ही लालू प्रसाद यादव ने इंडिया गठबंधन पर सवाल खड़ा किया था जो कांग्रेस के खिलाफ समझा जा रहा था। मगर राहुल और लालू परिवार के मिलन ने उन राजनीतिक पंडित और राजनीतिक विश्लेषकों को संदेश दे दिया जो इंडिया गठबंधन को लेकर सवाल खड़े कर रहे थे। संदेश स्पष्ट था कि लालू प्रसाद यादव परिवार और राहुल गांधी परिवार के बीच कितने मजबूत संबंध है।

लेकिन राजद और कांग्रेस के बीच संबंध कितने मजबूत हैं यह आने वाले दिनों में जब बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान होगा तब पता चलेगा। यह राजद और कांग्रेस के बीच टिकटों के बंटवारा से पता चलेगा। राहुल गांधी का बिहार दौरा राजनीतिक रूप से रहस्यमय था, मगर इस रहस्य से जल्द ही राहुल गांधी के रणनीतिकार नेताओं ने पर्दा उठा दिया और ऐसा लगा जैसे राहुल गांधी लालू प्रसाद यादव के निमंत्रण पर बिहार गए थे। राहुल गांधी को बिहार में कांग्रेस के भविष्य के लिए इसे गंभीरता से समझना होगा। राहुल गांधी ने किस उद्देश्य के लिए बिहार का दौरा किया था और उन्हें अपने उद्देश्य से भड़काने का प्रयास क्यों हुआ। इस बारे में राहुल गांधी को स्वयं समझना और मंथन करना होगा।
सभी की नजर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर भी है, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस को दिल्ली चुनाव में हर हाल में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। यदि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की स्थिति महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव जैसी रही तो इंडिया घटक दल के नेता ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, शरद पवार, उदव ठाकरे जैसे नेताओं को कांग्रेस को कट ,घरे में खड़ा करने का मौका मिल जाएगा। सबसे बड़ा मौका बिहार में तेजस्वी यादव को मिलेगा, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे के समय अपनी मनमानी चलाई थी। यदि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा तो बिहार में राजद और उसके नेता तेजस्वी यादव 2024 के लोकसभा चुनाव की तरह 2025 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग को लेकर अपनी शर्तों पर ही समझौता करेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)