
-देवेंद्र यादव-

क्या अब राहुल गांधी को समझ आ गया कि कांग्रेस राज्यों में यूं ही नहीं खत्म और कमजोर हुई है। कांग्रेस को राज्यों में खत्म करने के लिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने क्षेत्रीय दलों का सहयोग लेकर पहले उन राज्यों में कांग्रेस को कमजोर कर क्षेत्रीय दलों को मजबूत किया और जब कांग्रेस कमजोर हो गई तब उन्होंने क्षेत्रीय दलों को कमजोर करके उन राज्य में अपनी सरकार बनाई। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उड़ीसा और दिल्ली है। इन दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने पहले कांग्रेस को कमजोर किया और क्षेत्रीय दलों को मजबूत किया। उनकी सरकार बनवाई और जब कांग्रेस कमजोर हो गई तब उन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सरकार बनाई।
बिहार और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पूरी तरह से कमजोर हो गई है। इन दोनों ही राज्यों पर अब नजर भारतीय जनता पार्टी की है। यदि समय रहते इन दोनों राज्यों में कांग्रेस नहीं संभली तो दिल्ली और उड़ीसा की तरह राजनीतिक हश्र होगा।
भले ही कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार अपने आप को राजनीतिक रूप से बड़ा ही ज्ञानी मानते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कांग्रेस करे तो क्या करे। इंदिरा गांधी युग में कांग्रेस के पास बड़े-बड़े रणनीतिकार थे मगर धीरे-धीरे कांग्रेस के भीतर रणनीतिकारों का अभाव होता चला गया। देश की सत्ता पर कांग्रेस ने लंबे समय तक इसीलिए राज किया था क्योंकि कांग्रेस के पास बड़े प्लानर और रणनीतिकार थे। लेकिन अब कांग्रेस के पास प्लानर और रणनीतिकारों का बड़ा अभाव है। इसका उदाहरण कांग्रेस की वर्तमान स्थिति है। पार्टी के रणनीतिकार पता ही नहीं लगा पाए की कांग्रेसी राज्यों की सत्ता से बाहर क्यों हुई और राज्यों की सत्ता में वापसी क्यों नहीं कर पा रही है।
जबकि मैंने अपने कई ब्लॉगों लिखा था कि कांग्रेस यूं ही नहीं राज्यों की सत्ता से बाहर हुई है। कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी ने राज्यों के क्षेत्रीय दलों का सहारा लेकर सत्ता से बाहर किया है। यूं ही नहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल लंबे समय तक राज कर लेते। भारतीय जनता पार्टी को इन राज्यों में पहले पूरी तरह से कांग्रेस को खत्म करना था।जब कांग्रेस खत्म हो जाती उसके बाद अपनी सरकार बनानी थी जो उन्होंने उड़ीसा और दिल्ली में बना ली है। अब बारी बिहार और पश्चिम बंगाल की है क्योंकि इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस लगभग पूरी तरह से खत्म हो गई है। बिहार में कांग्रेस को जल्द ही फैसला लेना होगा कि उसे करना क्या है और फेसला कठोर लेना होगा।
कांग्रेस इस गलतफहमी में ना रहे कि क्षेत्रीय दलों के सहारे वह अपने आप को मजबूत करेगी। बल्कि क्षेत्रीय दलों के कारण कांग्रेस कमजोर ही होगी और एक समय आएगा जब दिल्ली और उड़ीसा की तरह कांग्रेस खत्म हो जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)