
-देवेंद्र यादव-

यूं तो मकर संक्रांति का सभी को इंतजार रहता है, मगर इस बार इंतजार के साथ-साथ दिल में उत्सुकता है और बेचौनी भी। शास्त्रों के अनुसार मलमास चल रहा है और मलमास में शुभ कार्य नहीं होते हैं इसलिए एक मायने में इंतजार मकर संक्रांति का रहता है। राजनीतिक और मीडिया की गलियारों में बिहार की राजनीति को लेकर चर्चा हो रही है कि मलमास के बाद बिहार में बड़ा राजनीतिक खेल होगा। इसका लोगों को इंतजार भी है उत्सुकता भी है और बेचौनी भी है।
इंतजार आम जनता को ह।ै उत्सुकता कांग्रेस के नेताओं दिलों में है और बैचेनी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के दिलों में है।
बिहार में गठबंधन की सरकार है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। इसमें एक प्रमुख घटक दल भारतीय जनता पार्टी है। रोचक तथ्य यह है कि जहां बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी भाजपा की बैसाखी के सहारे सत्ता में है तो वही केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के सहारे पर है। दोनों की डोर केंद्र और राज्य में एक दूसरे के हाथ में है। दोनों की डोर कमजोर तो है मगर इस कदर उलझी हुई है कि लगता नहीं है कि दोनों की पतंग आसानी से कट जाएगी। इसका कारण भी है। क्योंकि नीतीश कुमार की पतंग को लूटने के लिए लालू प्रसाद यादव की आरजेडी तैयार है। लालू प्रसाद यादव ने अपनी डोर नीतीश कुमार के हाथों में देने को कह दिया है। बिहार में लालू प्रसाद यादव की डोर भारतीय जनता पार्टी की डोर से अधिक मजबूत है। लालू प्रसाद की डोर नीतीश कुमार की पतंग को गिरने नहीं देगी बल्कि लालू प्रसाद यादव की डोर भारतीय जनता पार्टी की पतंग को कमजोर भी कर सकती है जिसकी बड़ी बेचौनी भाजपा में दिखाई दे रही है। यदि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव की डोर का सहारा लिया तो केंद्र में भाजपा की पतंग का क्या होगा ?
भाजपा की पतंग को मजबूत करने के लिए महाराष्ट्र से भी अलग-अलग डोर पतंग बाजी के राजनीतिक मैदान में नजर आ रही हैं। यह डोर केंद्र में उड़ रही नरेंद्र मोदी की पतंग को शायद कटने नहीं देगी, और मोदी की पतंग को गिरने से बचा लेंगे।
कांग्रेस के नेताओं के दिलों में पतंग लूटने की बेसब्री दिखाई दे रही है। कांग्रेस संविधान बचाओ, आरक्षण, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का अपमान जैसी डोरो को अपने हाथ में लेकर बेसब्री से इंतजार कर रही है कि मोदी की पतंग कब और कैसे कटे। वहीं कांग्रेस के हाथ में दो डोर और आ गई चाइना वाली और दूसरी अमेरिका वाली।
इंतजार है मकर संक्रांति का और मलमास खत्म होने का।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)