
-देवेंद्र यादव-

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव लंबे समय से बिहार का मुख्यमंत्री बनने के सपने संजोए हुए हैं। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे तेजस्वी यादव के मन में मुख्यमंत्री की कुर्सी की चाहत बढ़ती जा रही है। तेजस्वी यादव की चाहत इतनी बढी कि वह अपने आगे सत्ताधारी एनडीए घटक दलों की बात तो छोड़ दो, इंडिया घटक दल की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को भी अपने सामने बिहार में बोना समझ रहे हैं। वह यह जता रहे हैं कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार बनेगी और तेजस्वी यादव बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे।
सवाल यह है कि क्या तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने, बिहार में अपने पारंपरिक मतदाताओं को मतदान के अंत तक सुरक्षित रखने के लिए भी कोई ठोस योजना बनाई है। क्या राष्ट्रीय जनता दल की नजर मतदाता सूचियों पर है, क्योंकि इंडिया घटक दल के नेता महाराष्ट्र हो या फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी पर मतदाता सूचियो में हेर फेर कर चुनाव जीतने का आरोप लगाते नजर आते हैं।
एक के बाद एक राज्यों में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने उत्तराखंड से मेरा वोट, मेरा अधिकार अभियान का प्रारंभ किया था। कांग्रेस ने यह अभियान इसलिए चलाया था क्योंकि कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों से मतदान के समय गायब नजर आते थे। ऐसा आरोप भाजपा पर लगाकर कांग्रेस ने उत्तराखंड में मेरा वोट मेरा अधिकार अभियान शुरू किया था। बिहार में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार और बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राजद ने बिहार में क्या ऐसा कोई अभियान चलाया है जिससे उनके पारंपरिक मतदाता का नाम मतदाता सूची में अंत तक सुरक्षित रहे।
बिहार में इंडिया घटक दल को ऑपरेशन मतदाता सूचियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का लाभ लेने का प्रयास करेगी। गत दिनों दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि भाजपा ने बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी के मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों से निकाल दिए। अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से भी बताया था, कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियां से काटे जा रहे हैं। क्या बिहार में कांग्रेस सहित राजद और तेजस्वी यादव सतर्क और सावधान हैं या फिर चुनाव के बाद एक बार फिर से भाजपा पर आरोप लगाते हुए दिखाई देंगे। प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी 4 महीने में चौथी बार 15 मई को बिहार जा रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी बिहार के छात्रों के बीच शिक्षा न्याय संवाद कर पाएंगे क्योंकि उन्हें इसकी सरकार ने इजाजत नहीं दी है। कांग्रेस के प्रयास जारी हैं राहुल गांधी को इजाजत मिले।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)