
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी कांग्रेस संगठन में कागजी खाना पूर्ति नहीं चाहते हैं बल्कि निष्ठावान और पार्टी के प्रति वफादार सक्रिय कार्यकर्ताओं को नेता बनाना चाहते हैं। राहुल गांधी ने इसीलिए कांग्रेस में संगठन सृजन का शुभारंभ उत्तर प्रदेश से शुरू कर मध्य प्रदेश और हरियाणा में पहुंचा दिया है। यह अभियान शीघ्र ही राजस्थान में भी शुरू होगा। राजस्थान में कांग्रेस संगठन सृजन से पहले ही प्रदेश कार्यकारिणी, जिला ब्लॉक और नगर अध्यक्ष सहित मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियां कर दी गई है। यही नहीं अधिकांश जिलों, ब्लॉक, मंडल और नगर इकाइयों का गठन भी हो गया है।
राजस्थान में यह कार्य इतनी त्वरित गति से हुआ कि, इन नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में शंका उठने लगी। कार्यकर्ताओं में इस वजह से नाराजगी भी देखी जा रही है। कार्यकर्ताओं की असल नाराजगी तब देखी गई जब राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी की घोषणा होने के बाद, बड़ी संख्या में राष्ट्रीय महामंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के लेटर पैड पर प्रदेश पदाधिकारी की नियुक्तियां देखी गई। अब खबर यह आ रही है कि राजस्थान में संगठन के भीतर केवल कागजी खानापूर्ति नहीं होगी बल्कि निष्ठावान और सक्रिय कार्यकर्ताओं की खोज कर नियुक्ति होगी। इसके लिए प्रदेश में शीघ्र ही संगठन सृजन का कार्यक्रम शुरू होगा। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी चौथे घोड़े को समझ गए हैं, जो बेल लगाम घोड़ा है। जिस पर लगाम लगाना जरूरी है, और उसकी शुरुआत राहुल गांधी ने राजस्थान से कर दी है। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी रंधावा ने पार्टी संविधान का उल्लंघन कर अपने लेटर हेड पर बड़ी संख्या में प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारियों की नियुक्तियां कर दी थी। जिसको लेकर कार्यकर्ताओं के बीच आज भी नाराजगी देखी जा रही थी। कार्यकर्ताओं को शक है कि जिला, ब्लाक मंडल और नगर अध्यक्षों की नियुक्तियां भी, बेलगाम घोड़े की तर्ज पर ही हुई है। जिलों में बैठे प्रदेश स्तर के नेताओं ने अपने पसंदीदा सिपाहसालारों को जिला ब्लाक मंडल और नगरों में जिला अध्यक्ष बनकर बैठा दिया है। राहुल गांधी चाहते हैं सिफारिशी नहीं बल्कि जनता के बीच सक्रिय रहने वाले कार्यकर्ता को जिला ब्लॉक मंडल और नगर का अध्यक्ष बनाया जाए। जहां तक राजस्थान की बात करें तो 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अधिकांश बैठकें प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में नहीं होकर वार रूम में हो रही है। जबकि बार रूम चुनाव के बाद खत्म हो जाता है। मगर राजस्थान कांग्रेस कमेटी का वार रूम अभी भी संगठन की महत्वपूर्ण मीटिंगों के काम आ रहा है। जयपुर में कांग्रेस का कार्यालय मौजूद है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस धीरे-धीरे इतनी कमजोर क्यों हो गई कि उसे राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी इज्जत बचाने के भी लाले पड़ रहे हैं। इसकी अनेक वजह हैं। मगर खास वजह यह है कि कांग्रेस कांग्रेस कार्यालय से नहीं चल रही है। कांग्रेस को नेता अपने घर पर बैठकर चला रहे हैं। इसका प्रमाण 20 जून शुक्रवार के दिन देखने को मिला जब राजस्थान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने राजस्थान कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली और राजस्थान कांग्रेस के तीनों राष्ट्रीय सह प्रभारी को अपने दिल्ली स्थित मकान पर बुलाकर बैठक की और राजस्थान की राजनीति पर मंथन किया।
राहुल गांधी भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं और वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष खरगे ने, शायद ही कभी प्रदेश के नेताओं को प्रदेश की राजनीति को लेकर मंथन के लिए अपने निवास स्थान पर बुलाकर बैठक की हो। मगर राजस्थान के राष्ट्रीय प्रभारी रंधावा राहुल गांधी और खरगे से आगे निकलते दिखाई दिए। कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जो मंथन प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठकर किया जाता उस मंथन को रंधावा ने प्रदेश के नेताओं को अपने घर बुलाकर किया। यह राहुल गांधी के संगठन को मजबूत करने वाले अभियान संगठन सृजन कार्यक्रम को भी चुनौती है क्योंकि राहुल गांधी का कहना है कि संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ता और नेताओं की खोज गांव ब्लॉक और जिलों में जाकर की जाए। मगर 20 जून को अपने निवास पर बैठकर रंधावा ने राजस्थान कांग्रेस को लेकर मंथन कर लिया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)