अशोक तंवर की घर वापसी कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक या सरेंडर!

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फोटो साभार सोशल मीडिया

-देवेन्द्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

हरियाणाा विधानसभा चुनाव के मतदान से पूर्व अशोक तंवर की घर वापसी कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक है, या कांग्रेस का तंवर के सामने सरेंडर करना है। हरियाणा चुनाव का प्रचार खत्म होने के बाद राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर तेजी से प्रचार होने लगा कि भाजपा के स्टार प्रचारक दलित नेता अशोक तंवर ने कांग्रेस में शामिल होकर घर वापसी कर ली। प्रचार होने लगा कि यह कांग्रेस का बड़ा मास्टर स्ट्रोक है, मगर सवाल यह है कि अशोक तंवर तो जन्मजात कांग्रेसी ही थे, यह बात अलग है कि वह कुछ समय के लिए कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। अशोक तंवर 2024 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लड़े थे और बुरी तरह से हारे थे। यदि अशोक तंवर चुनाव जीत जाते और कांग्रेस में शामिल होते तो माना जाता कि यह कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक है, या फिर अशोक तंवर जन्म जात भाजपा या संघ के नेता होते और कांग्रेस में शामिल होते तब भी मान लिया जाता कि यह कांग्रेस की बड़ी उपलब्धि है।
अशोक तंवर की घर वापसी कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक हो या ना हो यह कांग्रेस के उन स्वयंभू रणनीतिकारों की बड़ी उपलब्धि है, जिन्होंने गांधी परिवार को अपने जाल में फंसा रखा है। वह जिसे चाहे उसे संगठन और सत्ता में पद दिलवा सकते हैं। वह जिसे चाहे उसे कांग्रेस के अंदर ला सकते हैं और कांग्रेस से बाहर भी करवा सकते हैं। इसका उदाहरण स्वयं अशोक तंवर भी हैं जिन्हें किस तरह से मजबूर करके कांग्रेस से बाहर किया था और अब उन्हीं रणनीतिकारों ने अशोक तंवर को कांग्रेस के अंदर भी करवा लिया।
हरियाणा विधानसभा चुनाव पर राहुल गांधी के बब्बर शेरों की नजर थी। बब्बर शेर इंतजार कर रहे है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी, और इससे कांग्रेस की तकदीर बनेगी। जिन नेताओं ने बुरे वक्त में राहुल गांधी और गांधी परिवार पर आरोप लगाकर कांग्रेस को छोड़ा था उनकी घर वापसी नहीं होगी। जिन बब्बर शेरों ने बुरे वक्त में राहुल गांधी और कांग्रेस का साथ दिया था उनकी भी तकदीर बदलेगी। मगर कांग्रेस के भीतर जाल बिछाकर बैठे स्वयंभू नेता और रणनीतिकारों ने हरियाणा के चुनाव परिणाम आने से पहले ही बता दिया कि कांग्रेस स्वयंभू नेताओं और रणनीतिकारों के बगैर कुछ भी नहीं है। राहुल गांधी भी वही फैसला लेंगे जो उन्हें स्वयंभू रणनीतिकार बताएंगे।
अब सवाल उठता है कि क्या बुरे वक्त में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं की एक-एक कर घर वापसी होगी। क्या इससे राहुल गांधी के बब्बर शेरों का आत्म बल बढ़ेगा या आत्म बल कमजोर होगा। क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में हजारों किलोमीटर पैदल ये बब्बर शेर ही चले थे। इस कारण राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सफल हुई थी और उस यात्रा की सफलता का ही परिणाम है कि कांग्रेस आज भाजपा पर भारी दिखाई दे रही है। राहुल गांधी को समय रहते हुए अपनी ताकत को समझना होगा, वरना यह तो वही बात हो जाएगी, जगरा तो राहुल गांधी ने लगाया, और बाटी निकाल कर स्वयंभू रणनीतिकार खा गए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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