कांग्रेस का हालः संगठन में रणनीतिकारों का अभाव !

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

आजादी के बाद कांग्रेस सत्ता और संगठन में सफल इसलिए होती रही क्योंकि उसके पास ताकतवर ईमानदार और वफादार रणनीतिकारों की एक बड़ी फौज थी। यह सत्ता और संगठन को मजबूत रखने के लिए रणनीतियां बनाते थे और कांग्रेस चुनाव में सफलता प्राप्त करती थी। मगर धीरे-धीरे कांग्रेस के भीतर मजबूत रणनीतिकारों का अभाव होने लगा, और कांग्रेस भी विभिन्न राज्यों और केंद्र की सत्ता से दूर होती चली गई। वहीं भारतीय जनता पार्टी में जनसंघ के समय मजबूत रणनीतिकारों का अभाव था मगर जैसे ही भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ और धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी में मजबूत ईमानदार और वफादार रणनीतिकार नजर आए। परिणाम यह हुआ कि देश में पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में अपनी सरकार बनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने की एक बड़ी वजह भारतीय जनता पार्टी के भीतर मजबूत ईमानदार और वफादार रणनीतिकारों की बड़ी भूमिका है। विगत 10 वर्षों में अनेक बार देश ने देखा है, जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने में पिछड़ रही थी अचानक उन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने मजबूत समझी जा रही कांग्रेस पार्टी को चुनाव हराया और अपनी सरकार बनाई। मौजूदा राजनीतिक दौर में कांग्रेस के पास मजबूत ईमानदार और वफादार रणनीतिकारों का अभाव देखा जा रहा है जबकि भारतीय जनता पार्टी मजबूत रणनीतिकारों की दम पर केंद्र और अधिकांश राज्यों की सत्ता पर काबिज है। भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने सोशल इंजीनियरिंग करके, 2014 से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर अपनी सरकार बनाई। भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने सोशल इंजीनियरिंग कर कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं और नेताओं को अपनी तरफ आकर्षित कर मिलाया जबकि कांग्रेस के रणनीतिकार ना तो इसे समझ सके और ना ही सोशल इंजीनियरिंग पर ध्यान दिया। सबसे बड़ा उदाहरण कांग्रेस की मौजूदा राष्ट्रीय कार्यकारिणी है जिसमें एक भी पदाधिकारी बनिया जाति से नहीं है। मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 4 से 5 बनिया समाज के नेता प्रतिनिधित्व करते थे जेपी अग्रवाल, पवन बंसल, विवेक बंसल, प्रदीप जैन, सीपी मित्तल यह सभी नेता कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल थे मगर आज एक भी बनिया राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नहीं है। बनिया समाज के लोगों की मतदाता संख्या कम हो सकती है, मगर बनिया समाज के नेता अपने समाज से ज्यादा दूसरे समाज के वोटरों को लुभाने और आकर्षित करने का हुनर रखते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के भीतर सत्ता और संगठन में बनिया जाति के बड़े-बड़े नेता मौजूद हैं जिनका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है। कांग्रेस के रणनीतिकार कमजोर हैं उनकी कमजोरी कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में झलकती है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय सचिवों की एक बड़ी फौज की घोषणा की थी, इसमें ऐसे लोग शामिल थे जिनको देश की जनता तो क्या उनके जिला और राज्य के लोग भी नहीं जानते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हरियाणा के प्रदीप नरवाल का है जो राष्ट्रीय सचिव बनने के तुरंत बाद हरियाणा से विधानसभा का चुनाव हार गए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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