कांग्रेस के लिए जमीन पर काम करने वाला ही टिकट का हकदार!

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

तेलंगाना के कृष्णा ने बिहार में जाकर कांग्रेस के पांडवों को बता दिया कि 2025 में विधानसभा रूपी युद्ध कैसे जीता जाएगा।
बिहार कांग्रेस के नवनियुक्त राष्ट्रीय प्रभारी कृष्णा अल्लूवरू 20 फरवरी गुरुवार के दिन पहली बार बिहार पहुंचे, जहां कांग्रेस के उत्साहित कार्यकर्ताओं ने कृष्णा का जबरदस्त स्वागत किया। राजनीतिक पंडित और विश्लेषक बिहार में दक्षिण भारत के नेता को राष्ट्रीय प्रभारी बनाए जाने पर उनकी भाषा को लेकर सवाल उठा रहे थे, मगर कृष्णा ने जैसे ही बिहार कांग्रेस के मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रवेश किया तो ऐसा लगा जैसे कृष्णा दक्षिण भारत के तेलंगाना के नहीं बल्कि बिहार के हैं। उनका लुक और भाषा दोनों से लग रहा था जैसे कृष्णा बिहारी ही हैं। जब उन्होंने हिंदी में बोलना शुरू किया तो जो कृष्णा की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े कर रहे थे शायद उनकी भाषण सुनकर बोलती बंद हो गई होगी। कृष्णा ने सदाकत आश्रम में शुद्ध हिंदी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस को कोई नहीं हरा सकता है। कांग्रेस को कांग्रेस ही हराती है। अक्सर नेता इशारों में अपनी बात कहते हैं मगर कृष्णा ने बिहार के कांग्रेसी नेताओं को स्पष्ट शब्दों में उनके सामने चेतावनी दी है कि यदि बिहार जीतना है तो जीतने के लिए काम करना होगा।
कृष्णा के भाषण से यह तो स्पष्ट हो गया कि बिहार को लेकर राहुल गांधी के इरादे नेक हैं और वह बिहार में हर हाल में कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं। इसके लिए वह कठोर कदम भी उठाने से नहीं कतराएंगे।
कृष्णा के भाषण ने उन नेताओं की चिंता बढ़ा दी होगी जो नेता बिहार में स्लीपर सेल का काम कर रहे थे और कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे थे।
कृष्णा ने पहले ही दिन अपने इरादे साफ कर दिए जो कांग्रेस के लिए दौड़ेंगे वही रेस जीतेंगे।उनका मतलब साफ था जो कांग्रेस के लिए जमीन पर काम करेगा वही टिकट और पद का असली हकदार होगा।
कृष्णा ने पहले ही दिन अपना फर्स्ट इंप्रेशन दिखा दिया। अब यह इंप्रेशन लास्ट तक कायम रहता है या नहीं इसका इंतजार करना होगा, क्योंकि बिहार में कांग्रेस के भीतर 40 साल का कचरा भरा हुआ है जिसे 180 दिन में साफ करना एक बड़ी चुनौती है। कृष्णा भी इस चुनौती को समझ रहे होंगे लेकिन उनके हौसले बता रहे हैं कि वह अपने मिशन में कामयाब होने के लिए ही बिहार आए हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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