कांग्रेस हाईकमान पर्यवेक्षकों से पूछे हरियाणा में हार का कारण

cong

-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस हाई कमान ने जिन नेताओं के हाथों में हरियाणा विधानसभा चुनाव को जीतकर कांग्रेस की वापसी कराने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी, वे नेता पार्टी को मिली हार के बाद, 9 अक्टूबर बुधवार के दिन चुनाव आयोग के दफ्तर में ईवीएम मशीन की बैटरी को लेकर शिकायत करते हुए नजर आए। कांग्रेस हरियाणा में क्यों हारी इसकी वजह कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव हारने के बाद मीडिया और जनता के बीच बताते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन जिनको हरियाणा चुनाव को जीतने की जिम्मेदारी दी थी, वह नेता हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार का ठीकरा ईवीएम मशीनों पर फोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार पर समीक्षा के परिणाम क्या आने वाले हैं क्योंकि जो नेता हरियाणा चुनाव में जीतने की चुनावी रणनीति बना रहे थे और जिन्होंने टिकट बांटे वही नेता कांग्रेस की हार के बाद, शिकायत लेकर चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे। इससे लगता है कि जिन नेताओं को कांग्रेस हाई कमान ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव को जिताने की जिम्मेदारी दी थी अब वही नेता अपनी नाकामी को छुपाने के लिए चुनाव आयोग के दफ्तर पर दस्तक देते हुए नजर आ रहे हैं। क्या यही कांग्रेस पार्टी की हार की समीक्षा अंतिम होगी क्योंकि समीक्षा करने वाले नेता भी यही होंगे जो चुनाव आयोग के द्वार पर दस्तक दे रहे हैं। कांग्रेस के यह नेता अच्छे से जानते हैं कि चुनाव आयोग के समक्ष की गई शिकायतों के परिणाम कब आएंगे तब तक लोग और पार्टी हाई कमान भी भूल जाएगा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार का बड़ा कारण क्या था।
राहुल गांधी ने हरियाणा में मिली कांग्रेस की हार पर अपना बयान दिया जिसे राहुल गांधी का बड़ा दिल बताया जा रहा है। लेकिन हरियाणा की हार से राहुल गांधी के मिशन को कितना बड़ा धक्का लगा है इसे आज के दिन केवल राहुल गांधी के बब्बर शेर कांग्रेस कार्यकर्ता महसूस कर रहे हैं। आखिर कब तक राहुल गांधी और बब्बर शेर मेहनत करते रहेंगे और और मलाईदार नेता कब तक राहुल गांधी और हाई कमान को गुमराह करते रहेंगे।
जिस प्रकार से राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर चुनाव में अपना पसीना बहाकर मेहनत की थी, अब दोनो को हरियाणा में कांग्रेस की हार पर अपनी मौजूदगी में उन नेताओं को अपने सामने बैठा कर समीक्षा करनी चाहिए जिन नेताओं को हरियाणा जीतने की जिम्मेदारी दी थी। यह समीक्षा ईवीएम मशीनों को एक तरफ रख कर होनी चाहिए। राहुल गांधी को उन हारे हुए प्रत्याशियों से भी व्यक्तिगत बैठक करके हार के कारण का पता लगाना चाहिए। यह नहीं होना चाहिए कि हार के कारण का पता लगाने के लिए हरियाणा में कांग्रेस ने पर्यवेक्षक भेज दिए क्योंकि राहुल गांधी अभी तक यह नहीं समझ पाए की कांग्रेस राज्यों में हाई कमान के द्वारा भेजे गए राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के कारण ही कमजोर होकर चुनाव हारती रही है। एक दिन राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की बैठक लेकर उनसे पूछ ले की उनके प्रभार वाले राज्य में कितने जिले ह,ैं कितनी ग्राम पंचायतें हैं,कितने ब्लॉक हैं और केवल उनसे प्रभार वाले राज्यों के 50 कार्यकर्ताओं के नाम पूछ लें तो पता लग जाएगा की हाई कमान के द्वारा राज्यों में भेजे गए पर्यवेक्षक उस राज्य को कितना समझे। राष्ट्रीय पर्यवेक्षक अपने प्रभार वाले राज्यों के जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के नाम तक नहीं जानते होगे। पर्यवेक्षकों से राज्यों में कांग्रेस को मजबूत कर जीत की उम्मीद करना बेईमानी है। कांग्रेस के कितने राष्ट्रीय पर्यवेक्षक होंगे जिन्होंने अपने अपने प्रभार वाले राज्यों के ब्लॉक स्तर पर जाकर कार्यकर्ताओं की बैठक ली। क्या यह कभी पर्यवेक्षकों से पार्टी हाई कमान ने पूछा है। जबकि हर चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों पर कांग्रेस के कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि हाई कमान के द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षक प्रत्याशियों के चयन के समय मुख्यमंत्री पद दावेदार के साथ समझौता कर लेते हैं, और कांग्रेस चुनाव हार जाती है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments