कांग्रेस 99 सीट जीत कर खुश, भाजपा 240 सीट जीतकर भी बेचैन !

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photo courtesy social media

-देवेंद्र यादव-

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देवेंद्र यादव

लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के बाद भी भाजपा के भीतर जश्न का माहौल नजर नहीं आ रहा है, जबकि 99 सीट जीतने के बाद कांग्रेस में जश्न का माहौल है।
सवाल यह है कि 99 सीट जीतने के बाद कांग्रेस इतना खुश क्यों नजर आ रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी 240 सीट जीतने के बाद भी बेचैन क्यों है ?
कांग्रेस की खुशी उस समय देखी गई जब देश भर में पहली बार कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का 54 वा जन्मदिन 19 जून को बड़ी धूमधाम से मनाया, वहीं राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में अपना जन्मदिन कांग्रेस के राष्ट्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ में मनाया।
कांग्रेस की खुशी और भाजपा की बेचैनी अनेक सवाल खड़े करती है। क्या मोदी चुनाव से पहले चुनाव के समय और चुनावी परिणाम आने के बाद कांग्रेस के जाल में फस गए हैं ? चुनाव से पहले कांग्रेस मुक्त भारत करने के उद्देश्य से मोदी और भाजपा कांग्रेस के नेताओं को एक-एक कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर रही थी और खुश हो रही थी। 2024 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेता भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और चुनाव जीते। कांग्रेस और राहुल गांधी इशारा कर रहे हैं कि भाजपा सरकार के कई सांसद हमारे संपर्क में हैं, क्या यह वही तो नहीं है जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे ?
मैंने लिखा था की कांग्रेस के रणनीतिकार भाजपा को अंदर घुसकर मात देंगे। चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं के एक-एक कर भाजपा में शामिल होना क्या यह कांग्रेस की रणनीति का एक हिस्सा था ? यदि यह नेता कांग्रेस में रहकर लोकसभा का चुनाव लड़ते तो शायद चुनाव नहीं जीतते।
इन नेताओं के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को दो फायदे हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कांग्रेस और उनके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे, इनमें से कई नेता भाजपा में जाकर शामिल हो गए इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भ्रष्टाचार वाला मुद्दा दफन हो गया और इसका फायदा कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में मिला। दूसरा फायदा यह हुआ कि यदि यह नेता कांग्रेस में रहते तो कांग्रेस को इन्हें टिकट देकर मैदान में उतारना पड़ता और यह चुनाव हार जाते। फायदा यह हुआ कि वह भाजपा में शामिल होकर भाजपा का टिकट पाकर चुनाव जीत गए और भाजपा के वफादार निष्ठावान कार्यकर्ता भाजपा का टिकट पाने से वंचित रह गए। यदि राहुल गांधी की बात पर गौर करें तो क्या भाजपा के टिकट पर जीते नेता वही है जो राहुल गांधी के संपर्क में हैं ? ध्यान देने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस के जिन नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था ज्यादातर नेता राहुल गांधी टीम के थे। राहुल गांधी के बहुत नजदीक थे या यूं कहैं राहुल गांधी की राजनीतिक मित्र मंडली के सदस्य थे।
सवाल यह है कि क्या भाजपा में बेचैनी इस बात को लेकर ही है कि 240 में अधिकांश जीते हुए सांसद भाजपा में शामिल हुए नेता हैं। जैसे वह भाजपा में शामिल हुए थे वैसे ही वह घर वापसी भी कर सकते हैं ?
राहुल गांधी देश का दिल जीत कर देश के सामने एक बड़ी नजीर पेश करना चाहते हैं. वह नहीं चाहते कि भाजपा सरकार में उनकी तरफ से कोई तोड़फोड़ की जाए। शायद राहुल गांधी यह चाहते हैं कि भाजपा अंतर कलह के कारण स्वयं गिर जाए।
कांग्रेस के पास संसद के भीतर अच्छे खासे नंबर भी हैं और भाजपा सरकार को घेरने के लिए मजबूत मुद्दे भी हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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