
-देवेंद्र यादव-

देश की राजनीति में जब भी बिहार का जिक्र होता है तब छात्र राजनीति और छात्र राजनीति से बने नेताओं का नाम जरूर सामने आता है। खासकर लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान ऐसे ही प्रमुख नेता रहे हैं जो छात्र राजनीति से उठकर बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में पावरफुल मंत्री बने। मगर जब बिहार मे कड़कडाती ठंड में अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे छात्रों पर पुलिस के द्वारा लाठी चलाई जाए और पानी की बौछार की जाए तब सवाल खड़ा होता है कि क्या यह वही नीतीश कुमार हैं जो छात्र राजनीति की देन हैं। नीतीश राज्य के आठ बार मुख्यमंत्री बने और उन्हीं के शासनकाल में छात्रों के ऊपर पुलिस प्रशासन ने लाठियां भाजी और पानी की बौछार की।
छात्र राजनीति से निकलकर देश के बड़े नेता बने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान अब इस दुनिया में नहीं हैं। वही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। मगर नीतीश कुमार अभी भी राज्य के मुख्यमंत्री हैं जो केंद्र में बैठी भाजपा सरकार के साथ मिलकर बिहार में अपनी सरकार चला रहे हैं और उस राज्य में रविवार के दिन आंदोलनकारी छात्रों पर पुलिस ने लाठियां चलाई। जिसकी आलोचना कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी सहित पूर्व उपमुख्यमंत्री राजद नेता तेजस्वी यादव ने की।
मगर बीपीएससी की दोबारा परीक्षा की मांग करने वाले छात्रों का दर्द सबसे ज्यादा पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के दिल में देखने को मिला। लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की तरह ही पप्पू यादव भी छात्र राजनीति कर पांच बार लोकसभा चुनाव जीतकर देश की संसद में पहुंचे। पप्पू यादव लोकसभा चुनाव 2024 में पांचवी वार जीत कर संसद में शपथ लेने के लिए पहुंचे तब उन्होंने संसद के भीतर सबसे पहली मांग बिहार में छात्रों के समर्थन की रखी और कहा कि बीपीएससी में हुई धांधली की जांच कराई जाए और छात्रों को न्याय दिलाया जाए। सही मायने में बिहार के छात्रों का दर्द पप्पू यादव महसूस करते हैं। पप्पू यादव कोरोना के समय कोटा सहित अन्य राज्यों में बिहार के फंसे हुए छात्रों की मदद कर उन्हें बिहार लेकर आए थे। रविवार को जब आंदोलनकारी छात्रों पर लाठियां चली तब छात्रों का सबसे ज्यादा दर्द पप्पू यादव के दिल में महसूस किया गया। पप्पू यादव के दिल में छात्रों के दर्द को देखने के बाद लगता है कि उन्हें पांच बार लोकसभा का चुनाव छात्रों ने ही जितवाया है क्योंकि पांच में से चार बार पप्पू यादव निर्दलीय के रूप में लोकसभा का चुनाव जीते हैं। चार बार लोकसभा का निर्दलीय चुनाव जीतने का मतलब यह है कि पप्पू यादव बिहार के युवा और छात्रों के बीच कितने लोकप्रिय नेता हैं। इसकी वजह यह है कि पप्पू यादव युवा और छात्रों की मदद के लिए ईमानदारी से उनके साथ खड़े दिखाई देते हैं।
अब सब की नजर 2025 के विधानसभा चुनाव पर है।छात्र आंदोलन आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर क्या असर डालता है। नजर उन पर भी है जो छात्रों के असल हिमायती बनने का दम भरते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)