
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए 9 जुलाई बुधवार का दिन खास था। कांग्रेस और राहुल गांधी पहली बार चुनाव आयोग की नीतियों के खिलाफ आंदोलन करने बिहार की सड़कों पर चक्का जाम करने उतरे। इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं और बिहार की जनता ने चक्का जाम आंदोलन को सफल बनाया। राहुल गांधी के नेतृत्व में किए गए चक्का जाम की चर्चा देश भर में होने लगी। मगर इससे ज्यादा चर्चा पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और युवा नेता कन्हैया कुमार के अपमान को लेकर होने लगी। इन दोनों नेताओं को राहुल गांधी की गाड़ी पर नहीं चढ़ने दिया। दोनों को धक्का मारकर परे कर दिया। यह खबर राजनीतिक गलियारों, मुख्य धारा के मीडिया और सोशल मीडिया पर तेजी से फैली। इसने, चक्का जाम की सफलता की खबर को दबा दिया। बड़ा सवाल यह है कि यह अपमान पप्पू यादव और कन्हैया कुमार का था या फिर इसके बहाने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का किया गया। बिहार में पप्पू यादव की सक्रियता ने राहुल गांधी को सक्रिय होने के लिए मजबूर किया। चुनाव आयोग के फरमान के विरोध में सबसे पहले बिहार बंद का आह्वान पप्पू यादव ने ही किया था और पप्पू यादव बिहार की सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं। राहुल गांधी जबसे बिहार में सक्रिय हुए हैं उसके बाद लगातार पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को राहुल गांधी की मौजूदगी में अपमानित होते हुए देखा गया। इससे लगता है कि बिहार में इंडिया गठबंधन के नेताओं के बीच एक वर्ग ऐसा है जो नहीं चाहता कि बिहार में राहुल गांधी सक्रिय रहे।

लेकिन बड़ा सवाल यह भी है राहुल गांधी बिहार को लेकर गलतफहमी का शिकार तो नहीं हो रहे हैं। राहुल गांधी को बार-बार ट्रैक से कौन उतार रहा है। राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा के चुनाव की घोषणा होने से पहले अभी तक लगभग आधा दर्जन दौरे किए हैं। मगर एक भी बार राहुल गांधी को पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव से नहीं मिलने दिया। क्या कभी राहुल गांधी ने विचार किया कि पप्पू यादव को उनसे क्यों नहीं मिलने दिया जा रहा है। वजह क्या है इसका खुलासा तो राहुल गांधी ही कर सकते हैं। यहीं से सवाल खड़ा होता है कि बिहार को लेकर राहुल गांधी भी गलत फहमी का शिकार हो रहे हैं। लगता है कि तेजस्वी यादव बिहार में कांग्रेस की नैया पार लगा देंगे और इज्जत बचा देंगे, लेकिन जिस प्रकार से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अहंकार दिखा रहे हैं उससे लगता है कि बिहार में भी पश्चिम बंगाल की तरह कांग्रेस के साथ खेल करने की तैयारी चल रही है। पप्पू यादव बिहार में पश्चिम बंगाल की तरह कांग्रेस के साथ खेल नहीं होने देंगे। यही वजह है कि पप्पू यादव को बिहार में नेताओं का एक वर्ग राहुल गांधी से नहीं मिलने दे रहा है। लेकिन राहुल गांधी को तो अपने विवेक से निर्णय लेना चाहिए और बिहार में नहीं तो दिल्ली में कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को बुलाकर चर्चा करनी चाहिए। यदि कांग्रेस के प्रति समर्पण की भावना से काम करने वाले लोगों को इसी तरह से अपमानित किया गया और राहुल गांधी से दूर रखा तो, एक समय ऐसा आएगा जब राहुल गांधी सक्रिय नजर आएंगे लेकिन उनके पास भाजपा से लड़ने के लिए मजबूत लोग नहीं होंगे। लगातार अपमानित होने के बाद उन लोगों का राहुल गांधी पर से विश्वास उठ जाएगा। राहुल गांधी के खिलाफ इस वक्त विरोधी यही षड्यंत्र रच रहे हैं जिसे राहुल गांधी को समझना होगा। कन्हैया कुमार और पप्पू यादव दोनों टीम राहुल गांधी के अहम हिस्सा हैं। पप्पू यादव और कन्हैया कुमार के अपमान को लेकर जैसे ही खबर तेजी से फैलने लगी पप्पू यादव ने कांग्रेस और राहुल गांधी के मिशन को नुकसान ना हो इसके लिए टीवी चैनलों पर मोर्चा खोला और बताया कि हमारा अपमान नहीं हुआ हमारे नेता मंच पर थे और हमारा नाम लिस्ट में नहीं था इसलिए हम मंच पर नहीं गए किसी ने हमें धक्का नहीं मारा। हम राहुल जी के साथ ही थे मगर मंच पर लिस्ट में नाम नहीं होने के कारण नहीं जा सके। हमारे सभी नेता मंच पर मौजूद थे जिनका लिस्ट में नाम था।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















