
-सीएम स्टालिन ने हिन्दी थोपने का विरोध तो राज्यपाल आरएन रवि ने केन्द्र की योजनाओं को सराहा
-राज्यपाल ने पीएफआई को लेकर साधा निशाना
-विष्णुदेव मंडल-

(स्वतंत्र पत्रकार, चेन्नई)
चेन्नई। यह बात अलग है कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई स्थित कामराज साले लेवर स्टैचू के निकट राज्यपाल आरएन रवि ने 74 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया जिनमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, मुख्य सचिव ईरई अंबु, पुलिस महानिदेशक सी शैलेंद्र बाबू और वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्यपाल आर एन रवि का स्वागत किया एवं पुलिस और शिक्षा सुरक्षाकर्मियों से रूबरू करवाया।
इस मौके पर आर्यन रवि ने राष्ट्रीय झंडा को सलामी भी दी। इस महापर्व के अवसर पर तमिलनाडु सरकार द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं से जुडी कई झांकियां भी निकाली गई। स्कूल के छात्र छात्राओं और कई स्वयंसेवी संगठनों के लोक कलाकारों ने भी मनमोहक झांकियों का प्रस्तुति दी जो बेहद उत्साहवर्धक नजर आई।

लेकिन मुख्यमंत्री जहाँ गणतंत्र दिवस पर भी केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाने से खुद को दूर नहीं रख पाए, वहीं राज्यपाल आर एन रवि केंद्र सरकार के पक्ष में कसीदे पढते नजर आए। राज्यपाल आर एन रवि तमिलनाडु की सुरक्षा के मुद्दे पर पीएफआई की बढते खतरे पर भी बोले। उनहोंने कहा तमिलनाडु में पीएफआई से जुडे आतंकवादी बेहद सक्रिय हैं। कुछ महीने पहले कोयंबतूर में हुए बम ब्लास्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं जो देश के आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा के नाम पर चिंतनीय है। तमिलनाडु के धरती का इस्तेमाल आतंकवादी कर रहे हैं। विदेशी ताकतें नहीं चाहती कि हिंदुस्तान तरक्की करें, इसलिए देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बचाने के लिए सरकार को आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने चाहिए।

यहां उल्लेखनीय है कि जहां तमिलनाडु सरकार और उनके सहयोगी दल पीएफआई जैसे आतंकी संगठन के बारे में एक शब्द बोलने को तैयार नहीं है वहीं तमिलनाडु पर हिंदी थोपने, और आर एस एस के निगरानी में केंद्र सरकार को काम करने की बात लेकर आर पार की लडाई के मूड में है। वही राज्यपाल आर एन रवि तमिलनाडु की हजारों साल की सभ्यता संस्कृति और आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार के पक्ष में आवाज बुलंद कर रहे हैं।
पीएफआई राष्ट्र विरोधी तथा आतंकवादी संगठन है,देश के साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने में यह संस्था काम कर रही है. इसलिए प्रदेश,जाति धर्म के हितों से ऊपर उठकर पीएफआई पर नकेल लगाती जानी चाहिए .