टिकटों के बंदरबांट को रोक पाएगा कांग्रेस हाईकमान ?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 85 सचिवों की नियुक्ति की तरह बगैर हाईकमान की अनुमति के विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन भी हो सकता है। विधानसभा चुनाव से एन वक्त पहले 85 सचिवों की बगैर हाईकमान के पूछे हुई नियुक्तियों ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं क्या यह खेल विधानसभा प्रत्याशियों के चयन के समय भी खेला जाता।

-देवेंद्र यादव-

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देवेंद्र यादव

राजस्थान में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं। इसी साल अंतिम महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस प्रयास में है कि राजस्थान में फिर से कांग्रेस की सरकार बने। मगर कांग्रेस सरकार की जन कल्याणकारी नीतियों की घोषणाएं और नीतियों की क्रियान्वित के बावजूद सवाल प्रत्याशियों के चयन पर आकर टिका हुआ है। यदि प्रदेश में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने विधानसभा के टिकटों में बंदरबांट नहीं की और जीतने वाले प्रत्याशियों को मैदान में उतारा तो कांग्रेस सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत के रूप में मिल जाएगा। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के नेता और पार्टी हाईकमान अभी तक तो यही कहते हुए दिखाई दे रही हैं कि पार्टी जिताऊ उम्मीदवारों को ही चुनावी मैदान में उतारेगी। मगर प्रत्याशियों के चयन को लेकर कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं में अभी भी संदेह बरकरार है। संदेह की वजह विगत दिनों जिस प्रकार से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों की नियुक्तियों में हुई बंदरबांट को देखते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं का संदेह बरकरार है। एआईसीसी और पीसीसी के सदस्यों की नियुक्तियों में जिस प्रकार से भाई भतीजावाद और नेताओं की चापलूसी हावी रही, क्या वैसा ही भाई भतीजावाद और नेताओं की चापलूसी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन के समय भी देखने को मिलेगा ? राजस्थान कांग्रेस को लेकर पार्टी हाईकमान कितना गंभीर है इसकी मिसाल गत दिनों देखने को मिली जब हाईकमान को पता चला कि राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष ने हाईकमान की अनुमति लिए बगैर ही 85 प्रदेश सचिवों की नियुक्ति कर दी। हाईकमान को पता चलते ही हाईकमान ने 85 सचिवों की नियुक्ति को निरस्त कर दिया।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 85 सचिवों की नियुक्ति की तरह बगैर हाईकमान की अनुमति के विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन भी हो सकता है। विधानसभा चुनाव से एन वक्त पहले 85 सचिवों की बगैर हाईकमान के पूछे हुई नियुक्तियों ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं क्या यह खेल विधानसभा प्रत्याशियों के चयन के समय भी खेला जाता।
प्रत्याशियों के चयन में बंदरबांट का संशय कार्यकर्ताओं में इसलिए भी है क्योंकि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच राजनीतिक तकरार है।
क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच समझौते के रूप में प्रत्याशियों का बटवारा होगा। यदि दोनों नेताओं के बीच टिकटों का बंटवारा हुआ तो राजस्थान में दोनों नेताओं के अलावा अन्य और भी नेता है जो चाहेंगे कि पार्टी हाईकमान उनके समर्थकों को भी टिकट दे। कांग्रेस हाईकमान के लिए राजस्थान में प्रत्याशियों का चयन सबसे बड़ी चुनौती ह।ै चुनौती प्रत्याशियों के चयन के बंदरबांट को रोकने की है चुनौती ऐसे प्रत्याशी मैदान में उतारने की है जो जीत सकते हैं। प्रदेश में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन का कार्य गांधी परिवार के नजदीक और भरोसेमंद नेता के राजू के नेतृत्व में चल रहा है। राजू को प्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति अल्पसंख्यक और ओबीसी का भरपूर समर्थन मिल रहा है। गत दिनों हाड़ौती संभाग मैं लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन की एक दिवसीय कार्यशाला लगाई गई थी जिसमें सैकड़ों की संख्या में दलित वर्ग के लोग एकत्रित हुए। कार्यशाला से दलितों ने समवेत स्वर में प्रदेश में लगातार दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनाने का संकल्प लिया। लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन प्रदेश में दलित और आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 59 सीटों को जीतने पर काम कर रहा है। लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर राजस्थान अनुसूचित जाति वित्त विकास आयोग के चेयरमैन डॉ शंकर यादव प्रदेश में लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन को सफल बनाने और राज्य विधानसभा की 59 सीटों को 2023 के विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए कार्य कर रहे हैं।
मगर सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस हाईकमान टिकटों की बंदरबांट को रोक पाएगा या फिर जैसे 85 सचिवों की घोषणा हुई वैसे ही टिकटों की भी घोषणा हो जाएगी।
देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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