नेताओं के त्याग की वजह से भाजपा है हाडोती में मजबूत!

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-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

राजस्थान ही नहीं बल्कि देश में हाडोती संभाग जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ रहा है। इस गढ़ को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला राजनीतिक रूप से और अधिक मजबूत करने में जुटे हैं। जब भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा में केवल दो सीट हुआ करती थी तब एक हाडोती संभाग के झालावाड़ संसदीय क्षेत्र की होती थी। हाडोती संभाग जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी का गढ़ इसलिए है क्योंकि यहां आरएसएस का मजबूत काडर मौजूद है।
हाडोती संभाग में दो लोकसभा सीट कोटा और झालावाड़ हैं और 17 विधानसभा की सीट हैं।
चार जिलों वाले कोटा संभाग की लोकसभा सीटों पर अधिकांश समय भारतीय जनता पार्टी और जनसंघ का कब्जा रहा है। झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से लगातार पहले श्रीमती वसुंधरा राजे और अब उनके पुत्र दुष्यंत सिंह चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1985 से पहले भी इस सीट पर भाजपा का कब्जा था। 1985 में झालावाड़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस जीती थी। कमोबेश यही स्थिति कोटा संसदीय क्षेत्र की है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला लगातार तीसरी बार कोटा संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। कमोबेश यही स्थिति संभाग की 17 विधानसभा सीटों की है। विधानसभा में भी संभाग की सीटों पर कांग्रेस पर भारतीय जनता पार्टी ही भारी रही है।

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हाडोती संभाग भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है इसे यूं समझना होगा, 1977 में पहली बार राजस्थान में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी तब उसके मुख्यमंत्री भाजपा नेता पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत संभाग की छबड़ा छिपाबड़ोद विधानसभा सीट से उपचुनाव जीते थे और वह जब तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे इस सीट से चुनाव लड़ते रहे और जीतते रहे। शेखावत के बाद जब राज्य की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे बनी तो वह भी कोटा संभाग की झालरापाटन सीट से विधायक चुनी गई। वह भी लगातार झालरापाटन सीट से विधायक चुनती आ रही हैं। ऐसा भी नहीं है कि हाडोती संभाग में कांग्रेस के पास बड़े नेता नहीं है, या कांग्रेस के नेताओं का संभाग की जनता के बीच प्रभाव नहीं है। कांग्रेस के पास बड़े नेता हैं लेकिन हाडोती संभाग में कांग्रेस बड़े नेताओं के कारण ही कमजोर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी और पूर्व मंत्री राम किशन वर्मा को छोड़ दें तो बाकी सभी नेताओं के परिजनों का कांग्रेस के सत्ता और संगठन पर बोलबाला है। राजस्थान सरकार के पूर्व उद्योग मंत्री रिखब चंद्र धारीवाल पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद जुझार सिंह पूर्व मंत्री ब्रजकिशोर शर्मा ऐसे नाम हैं जिनके परिवार जनों का हाडोती संभाग की कांग्रेस में वर्चस्व रहा। झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में पूर्व मंत्री प्रमोद भैया जैन का दबदाब है। विधायक से लेकर झालावाड़ से संसद तक प्रमोद भैया और उनकी पत्नी उर्मिला जैन चुनाव लड़ती आ रही हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी में हाडोती संभाग से पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्ण कुमार गोयल, चतुर्भुज नागर, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी, पूर्व मंत्री रघुवीर सिंह कौशल, कोटा संसदीय क्षेत्र से लगातार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले दाऊ दयाल जोशी ऐसे नाम है जिनकी वजह से हाडोती संभाग भारतीय जनता पार्टी का गढ़ कहा जाता है। भारतीय जनता पार्टी का गढ़ इसलिए सुरक्षित और मजबूत है क्योंकि जिन लोगों की वजह से यह गढ़ है इसमें उनके त्याग का बड़ा योगदान है। इन नेताओं के परिवार के सदस्य ना तो भारतीय जनता पार्टी के संगठन और ना ही सत्ता में नजर आते हैं। जबकि कांग्रेस में इसके उलट है सत्ता और संगठन दोनों में कांग्रेस के नेताओं के परिवारजन नजर आते हैं। इसीलिए हाडोती संभाग में भाजपा मजबूत है और कांग्रेस कमजोर है। अभी लोकसभा चुनाव होने में लगभग 4 साल का समय है और कमोबेश विधानसभा चुनाव होने में भी इतना ही समय बाकी है। मगर भारतीय जनता पार्टी अभी से कोटा सांसद ओम बिरला के नेतृत्व में भाजपा को और अधिक मजबूत करने में जुट गई है। हाडोती संभाग में केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के बड़े नेताओं का लगातार दौरा हो रहा है। रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी कोटा आए और उन्होंने कई प्रोग्राम में भाग लिया। ओम बिरला के मिशन भाजपा के गढ़ को और अधिक मजबूत करने में समाजसेवी विभिन्न गैर राजनीतिक संस्थाओं और रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष राजेश बिरला और शहर जिला अध्यक्ष राकेश जैन तत्परता से लगे हुए हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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