-आरोप प्रत्यारोप के दौर के बीच मुख्यमंत्री के आवास पर आठ अप्रैल को रोजा इफ्तार का कार्यक्रम
-विष्णुदेव मंडल-

पटना। बिहार में रामनवमी में बिहार के कुछ जिलों में दंगा फसाद के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के बिहार समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अलर्ट किया था ताकि हनुमान जन्मोत्सव पर किसी तरह की अप्रिय घटना ना घटे।
पश्चिम बंगाल के हावड़ा, हुगली समेत बिहार के असंवेदनशील सासाराम, नालंदा और बिहारशरीफ में अर्धसैनिक बलों कर तैनाती कर दी गई थी। हालांकि बिहार और पश्चिम बंगाल में हनुमान जन्मोत्सव पर किस तरह की अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला है। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री के दंगा के पीछे भाजपा नेताओं के हाथ होने के बयान पर भाजपा नेताओं ने भी नीतीश कुमार पर सीधा हमला करने लगे हैं।
आगामी 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री के आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जएगा। जिनमें सभी महागठबंधन दलों के नेताओं को बुलाया गया है जिनको लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने मुख्यमंत्री पर सीधा हमला करना शुरू कर दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि जहां मुख्यमंत्री को बिहार कीे विधी व्यवस्था को ठीक करना चाहिए,लोगों से शांति की अपील करना चाहिए वहीं मुख्यमंत्री अपने घर इफ्तार पार्टी देकर यह साबित करना चाहते हैं कि वह दंगाइयों के साथ हैं। वह हिंदुओं के ऊपर जितना भी अत्याचार करें वह कुछ बोलने वाले नहीं है। सरकार तुष्टीकरण मोड में है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री सिर्फ रबड़ स्टांप हैं, सत्ता उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के हाथ में है इसीलिए सासाराम, नालंदा और बिहारशरीफ में हिंदुओं पर अत्याचार हुआ। उनके घर बम फोड़े लेकिन दंगाइयों को पकड़ने के बजाय बिहार सरकार निर्दाेष हिंदुओं पर अत्याचार कर रही है। पुलिस दंगा में शामिल तथाकथित लोगों को पकड़ने से परहेज कर रही है !
बताते चलें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया को बताया था कि पिछले दिनों जो भी घटना घटित हुआ उनमें भाजपा नेताओं का हाथ है। केंद्रीय मंत्री एवं देश के गृहमंत्री के आने से पहले इस तरह का माहौल बनाया गया। अब दंगे में शामिल के घर पुलिस एक-एक कर जा रहे हैं। कोई बचेंगे नहीं।
यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि पिछले साल अग्ग्निवीरों की बहाली के लेकर बिहार में सर्वाधिक बवाल हुआ था। बिहार में दर्जनों ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया था। उस समय जनता दल यूनाइटेड भाजपा के साथ सरकार में थी। उस समय कई भाजपा नेताओं के घर को निशाने पर लिया गया था। उस वक्त जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह का कहना था कि बिहार के युवाओं में अग्निवीरों के भर्ती की प्रक्रिया को लेकर फ्रस्ट्रेशन है। इसलिए युवा ट्रेनों को जला रहे हैं। केंद्र सरकार को इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए।
अब सवाल उठता है कि यदि रामनवमी के जुलूस निकालने पर दो समुदाय के लोग एक दूसरों से लड़ते हैं तो वह भाजपा द्वारा कराई गई तो फिर अग्निवीरों की बहाली को लेकर बिहार में ट्रेनों को जलाने वाले दंगाइयों में राष्ट्रीय जनतादल और जदयू के कार्यकर्ता क्यों नहीं? गौरतलब है कि पीएफआई के ऊपर केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए कीे बिहार में लगातार छापेमारी से नीतीश कुमार और भाजपा में दरार सामने आई थी। नीतीश कुमार नहीं चाहते थे कि बिहार मैं पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी हो। इसके लिए पार्टी तोड़ने की बहाने बनाए गए और भाजपा और जदयू अलग-अलग हो गये।
बहरहाल बिहार में कानून व्यवस्था बदहाल है। खून खराबा, दंगा फसाद, चोरी लूट और छिनैती डकैती चरम पर है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह कहते हैं उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनना हैं वही ं दूसरी तरफ वह इफ्तार पार्टी रखते हैं। वहां के पीछे का बैकग्राउंड लाल किले को दर्शाता ह।ै इससे स्पष्ट होता है कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने का उत्कंठा तेज है ,लेकिन बिहार की कानून व्यवस्था वहां हो रहे दंगा फसाद से लोगों में यह मैसेज जा रहा है कि जब नीतीश कुमार बिहार को सुरक्षित नहीं रख सकते तो फिर 130 करोड़ आबादी वाली देश का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगे?
खबर यह भी है की दंगा फसाद में संपत्तियों का नुकसान की भरपाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है तथा देश के उन राज्यों के मुख्य सचिवों को सूचित किया जा रहा है कि रामनवमी के जुलूस में दंगा फसाद और करने वाले चाहे वह किसी भी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं उन पर कार्रवाई हो और नुकसान की भरपाई की जाए।
लेखक विहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं