
-देवेंद्र यादव-

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई है। यह बयान सामने आया है कि कांग्रेस ही है जो भारतीय जनता पार्टी को हरा सकती है। लेकिन किसी प्रमुख नेता के इस बयान से कांग्रेस को मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि वह भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव में हरा सकती है। बयान और उसकी टाइमिंग पर कांग्रेस आलाकमान को ध्यान देना होगा।
आलाकमान को यह ध्यान रखना होगा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लेकर राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर चर्चा हो रही थी कि यदि कांग्रेस दिल्ली में पूरी ताकत से चुनाव लड़ती है तो दिल्ली में इतिहास रच देगी। फिर क्या था दिल्ली प्रदेश कांग्रेस नेता गदगद हो गए और मन में कांग्रेस की सत्ता में आने के लड्डू फूटने लगे। जब चुनाव परिणाम आए तो जिन बड़े नेताओं के मन में लड्डू फूट रहे थे वह नेता अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। कांग्रेस के रणनीतिकारों को बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दिए बयान और बयान की टाइमिंग पर दिल्ली चुनाव को याद करते हुए मंथन और चिंतन करना चाहिए। बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव हैं। प्रशांत किशोर भी बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। बिहार में कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है और बिहार में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की रणनीति है कि बिहार की सत्ता में कांग्रेस और भाजपा प्रवेश नहीं करें। दोनों ही नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का अलग-अलग रहकर दामन थाम रखा है। कांग्रेस और भाजपा इस गलतफहमी में है कि वे लालू और नीतीश के सहारे बिहार की सत्ता में आ जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों को कांग्रेस से सबक लेना होगा क्योंकि कांग्रेस बिहार की सत्ता से लगभग चार दशक से भी अधिक समय से दूर है। कांग्रेस को बिहार की सत्ता से भारतीय जनता पार्टी ने दूर नहीं किया है बल्कि बिहार के क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस को सत्ता से दूर किया है।
कांग्रेस को यह भी समझना होगा की लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की परफॉर्मेंस ठीक-ठाक रहती है लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पिछड क्यों जाती है।
कांग्रेस के पास बिहार में बड़ा अवसर है जब वह लालू प्रसाद यादव के भ्रम को तोड़ सकती है। इसके लिए कांग्रेस के पास पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव है जो लंबे समय से बिहार में कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं। पप्पू यादव बिहार में कांग्रेस के लिए मजबूत कार्यकर्ता और मजबूत उम्मीदवार दे सकते हैं।
कांग्रेस ने अपना बिहार का राष्ट्रीय प्रभारी बदल दिया है। अब इंतजार बिहार कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष बदलने का है जो किसी भी समय बदला जा सकता है।
सवाल यह है कि कांग्रेस अब दिल्ली की तरह गलतफहमी में नहीं रहे और सचेत रहे। बिहार में कांग्रेस को प्रत्याशियों के चयन के लिए मजबूत टीम बनानी होगी और चुनाव केंपनिग कमेटी भी मजबूत बनानी होगी।
कांग्रेस इस गलतफहमी में नहीं रहे की कांग्रेस ही है जो भारतीय जनता पार्टी को हरा सकती है, क्योंकि बिहार में अकेली भाजपा नहीं है कांग्रेस के सामने और भी मजबूत क्षेत्रीय दल हैं जिन्हें हराकर सत्ता में आना कांग्रेस के लिए बड़ी बात है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)