भाजपा में उपेक्षित महसूस कर रहा है राजपूत समुदाय !

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श्री राजपूत करणी सेना के संस्थापक, स्व. लोकेन्द्र सिंह कालवी की जयंती पर बिडला ऑडिटोरियम, जयपुर में आयोजित समाज रत्न सम्मान समारोह को संबोधित करते राजेन्द्र राठौड। फोटो सोशल मीडिया

-देवेन्द्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी अभी पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की नाराजगी से उबर भी नहीं पाई थी कि अब पार्टी के कद्दावर नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ के सम्मान की बात सामने आ गई। वसुंधरा राजे के बाद राजेंद्र सिंह राठौड़ प्रदेश में सबसे बड़े राजपूत नेता हैं और प्रदेश के प्रभावशाली नेताओं में शुमार हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने 2023 में राजस्थान की सत्ता में वापसी की तो पहली बार गैर राजपूत जाति के नेता भजन लाल शर्मा को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। जबकि मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे श्रीमती वसुंधरा राजे दिखाई दे रही थी। उनके अलावा अन्य राजपूत नेता गजेंद्र सिंह शेखावत राजेंद्र राठौड़ और दिया कुमारी भी मुख्यमंत्री की रेस में दिखाई दे रही थी।
राजेंद्र सिंह राठौड़ विधानसभा का चुनाव हार गए लेकिन दिया कुमारी चुनाव जीत गई। भाजपा ने दिया कुमारी को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया। दिया कुमारी भी वसुंधरा की तरह राजघराने से संबंध रखती हैं। जब मुख्यमंत्री पद को लेकर नेताओं के बीच विवाद चल रहा था तब राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी का हाई कमान श्रीमती वसुंधरा राजे की नाराजगी को दूर करने के लिए दिया कुमारी को राज्य का मुख्यमंत्री बना सकता है। मगर पार्टी ने दिया कुमारी को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई। अब सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी हाई कमान दिया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाकर राजपूत समुदाय की नाराजगी को दूर कर पाया या कम कर पाया। दोनों ही प्रकार की स्थितियां समान बनी हुई है ना तो नाराजगी दूर होती दिखाई दे रही है और ना ही उसमें कोई कमी होती नजर आ रही है।
अभी भी वसुंधरा को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने का राजपूत समुदाय में मलाल देखा जा सकता है। वही राजेंद्र सिंह राठौड़ को भाजपा ने अभी तक किसी सम्मानजनक पद पर नहीं बैठाया है उसका भी मलाल देखा जा सकता है।
पार्टी हाई कमान ने राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष को बदलकर श्रीमती वसुंधरा के समर्थक नेता मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। साथ में हाई कमान ने राजस्थान में अपना नया राष्ट्रीय प्रभारी भी डॉक्टर राधा मोहन अग्रवाल को बनाकर भेजा। डॉ राधा मोहन अग्रवाल के द्वारा राजस्थान के नेताओं की क्लास लेना प्रदेश के नेताओं के समर्थकों को समझ में नहीं आया और उनका विरोध होने लगा।
सवाल यह है कि क्या राधा मोहन अग्रवाल मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के खास हैं और उनके इशारे पर ही राधा मोहन अग्रवाल को राष्ट्रीय प्रभारी बनाकर राजस्थान भेजा है।
वसुंधरा की जगह जब भजन लाल शर्मा को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था तब राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी थी कि भजन लाल शर्मा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पसंद है। बाद में हाई कमान ने प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को हटाकर मदन राठौड़ को अध्यक्ष बनाया तो चर्चा होने लगी की नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ श्रीमती वसुंधरा के नजदीकी नेता हैं।
अब सवाल उठता है कि राजस्थान भाजपा के भीतर, सत्ता और संगठन में नेताओं की शह और मात का खेल कब तक चलता रहेगा, जबकि राजस्थान में इस बार मानसून ने अनेक जगह बड़ी तबाही मचाई है।
राजस्थान में नेताओं के शह और मात के चलते, अभी प्रदेश में कोई बड़ा प्रशासनिक फेरबदल नहीं हो पाया है और ना ही मंत्रिमंडल का विस्तार हो पाया है जबकि भाजपा की राज्य सरकार अपना 1 साल पूरा करने के आसपास नजर आ रही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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