
-बिहार से विरोध की शुरूआत को देश भर में पहुंचाने का लक्ष्य
-देवेंद्र यादव-

पहली बार ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी के जाल में फंसती नजर नहीं आ रही है। अगर यह कहा जाए कि कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की हर राजनीतिक चाल पर पैनी नजर रखी है और उसको उसी की भाषा में जवाब दिया है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
गत दिनों चुनाव आयोग ने बिहार में वोटर लिस्ट की समीक्षा करने का फरमान जारी किया था। जिसको लेकर बिहार में विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस सहित इंडिया ब्लॉक के घटक दल के नेताओं ने चुनाव आयोग के फैसले का विरोध किया और बिहार में 9 जुलाई को चुनाव आयोग के फरमान के खिलाफ चक्का जाम करने का ऐलान किया। 6 जुलाई को चुनाव आयोग का अखबारों में एक इश्तियार छपा जिससे लगा कि चुनाव आयोग ने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। सोशल मीडिया पर खबर चलने लगी कि चुनाव आयोग कांग्रेस और विपक्षी दलों के विरोध के आगे झुक गया। मगर धीरे-धीरे कांग्रेस के नेताओं के बयान सामने आए कि कांग्रेस सहित इंडिया घटक दल का विरोध प्रदर्शन नहीं रुकेगा और 9 जुलाई को बिहार में चक्का जाम किया जाएगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल ने यूट्यूब के एक बड़े चैनल पर, स्पष्ट शब्दों में बताया कि कांग्रेस अब मतदाता सूचियों में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे घोटाले के विरोध में सड़कों पर उतरेगी। हम मेरा वोट मेरा अधिकार को लेकर देश के आम मतदाताओं को जागरूक करेंगे। कांग्रेस ने यह अभियान गुरदीप सिंह सप्पल की अगुवाई में देश के कई राज्यों में चला रखा है। गत दिनों इसका शुभारंभ कांग्रेस ने सप्पल की मौजूदगी में उत्तराखंड से किया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल की राजनीतिक रणनीति और सतर्कता का ही परिणाम हैं की कांग्रेस मतदाता सूचियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी को कटघरे में खड़ा करने में कामयाब होती नजर आ रही है। कांग्रेस धीरे-धीरे इसका विरोध देश भर में आंदोलन के रूप में करेगी। जिसकी शुरुआत 9 जुलाई को बिहार से होगी। बिहार में सबसे पहले चुनाव आयोग के फैसले का पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने विरोध किया था। पप्पू यादव ने ही चुनाव आयोग के फरमान के खिलाफ बिहार बंद करने का आह्वान किया। चुनाव आयोग के फेसले के विरोध में तमाम विपक्षी दल एकजुट नजर आ रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)