
-बादल गरजेंगे या फिर बरसेंगे भी ?
-देवेन्द्र यादव-

18वीं लोकसभा के पहले मानसून सत्र में, लोगों की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर रहेगी। राहुल गांधी कितने गरजते हैं और बरसते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बादलों को शांत करते हैं या फिर वह भी गरज कर बरसते हैं और इन दोनों को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला कैसे शांत करते हैं इस पर देश की नजर रहेगी।
17वीं लोकसभा के समय राहुल गांधी ने कहा था कि सत्ता पक्ष हमें बोलने नहीं देता। यदि मैं बोलूंगा तो सुनामी आ जाएगी। और राहुल गांधी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में इसकी झलक भी दिखलाई थी। वह जब बोलने लगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के कई मंत्री उन्हें टोकने लगे।
इस बार संसद के दोनों सदनों में विपक्ष पहले से कहीं अधिक मजबूत है, और विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए मुद्दे भी अनेक हैं। विपक्ष के नेताओं ने मानसून सत्र से पहले हुई सर्व दलीय बैठक में अपने मंसूबे भी साफ कर दिए थे। सत्ताधारी भाजपा के सामने लोकसभा चुनाव 2024 में पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की हताशा नजर आएगी और विपक्ष के चेहरे पर 234 सीट जीतने की खुशी नजर आएगी।
मानसून सत्र में तीन राज्यों मैं होने वाले विधानसभा चुनाव की झलक भी नजर आएगी।
मानसून सत्र में यह भी नजर आएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार गठबंधन की सरकार को मजबूती के साथ कैसे चला पाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक पूर्ण बहुमत और प्रचंड बहुमत की सरकार चलाई हैं। पहली बार उन्हें अपनी सरकार चलाने के लिए बैसाखियों का सहारा लेना पड़ा है।
उत्तर और दक्षिण की बैसाखियां नरेंद्र मोदी सरकार को कब तक खड़ा रख पाएंगी यह निर्भर करता है प्रधानमंत्री पर। क्योंकि जेडीयू ने मोदी से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या फिर विशेष पैकेज देने की डिमांड कर दी है, कुछ इसी तरह की मांग की सुग बुगाहट दक्षिण से तेलुगू देशम पार्टी की तरफ से भी सुनाई दे रही है। नरेन्द्र मोदी सरकार की बैसाखियां कितनी मजबूत हैं इसका पता भी मानसून सत्र में लग जाएगा।
देश की नजर राहुल गांधी पर होगी, इसका ट्रेलर देश ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में देख लिया था। अब पिक्चर देखना बाकी है जो शायद 18 वीं लोकसभा के पहले मानसून सत्र में देखने को मिल जाए।
हालांकि विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए मुद्दे पुराने ही हैं मगर बात अवसर की है। पहले विपक्ष मजबूत नहीं था इसलिए सरकार पर मुद्दों का प्रभाव बे असर दिखाई दिया, मगर इस बार विपक्ष मजबूत है, इसलिए सरकार पर असर भी दिखाई देगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)