मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट की खिलाफत पर उतरी डीएमके

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नीट मुद्दे को जन भावनाओं से जोड़कर राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं एमके स्टालिन

-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

चेन्नई। मेडिकल शिक्षा के लिए नीट पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य होता है। यह परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है जिसमें देश भर के मेडिकल में प्रवेश के इच्छुक के छात्र-छात्राएं भाग लेते हैं। लेकिन तमिलनाडु सरकार नीट पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता को रद्द करने की मांग करती रही है। पहले यह मांग सत्ताधारी एआईएडीएमके सरकार करती थी, अब यह मांग मौजूदा डीएमके सरकार कर रही है।
बीते रविवार को डीएमके के युवा विंग के अध्यक्ष एवं खेल मंत्री एमके उदयनिधि स्टालिन ने भूख हड़ताल कर केंद्र सरकार से तमिलनाडु के आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए नीट में छूट की मांग की है। तमिलनाडु सरकार के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने मौजूदा केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा की नीट परीक्षा पास करने के लिए गरीब तबके के छात्र-छात्राएं महगे कोचिंग की पढ़ाई नहीं कर पाते लिहाजा आर्थिक रूप से कमजोर तबके और मध्यमवर्गीय परिवार के प्रतिभावन छात्र-छात्राएं मेडिकल में नीट परीक्षा में असफल हो जाते हैं। आर्थिक तंगी के कारण वह मंहगे कोचिंग इंस्टिट्यूट में नीट की तैयारी नहीं कर पाते अलबत्ता वह असफल होने पर मौत के गले लगा लेते हैं।
उन्होंने अनशन स्थल पर नीट में असफल होने के बाद आत्महत्या करने वाले उन छात्र-छात्राओं की तस्वीर लगा रखी थी जिन्होंने नीट पात्रता परीक्षा में असफल होने के बाद मौत को गले लगाया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तमिलनाडु के राज्यपाल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने कई बार नीट पात्रता परीक्षा रद्द करने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर राज्यपाल के पास भेजा लेकिन वह कभी भी तमिलनाडु के छात्र-छात्राओं के भावनाओं के प्रति गंभीर नहीं दिखे। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मौजूदा केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि मौजूदा सरकार देशभर में यूसीसी लाना चाहती है लेकिन शिक्षा में समानता की बातें नहीं करते। आज प्रतिभाशाली गरीब छात्र छात्राएं चाह कर भी डॉक्टर बन नहीं सकते क्योंकि डॉक्टर बनने के लिए करोड़पति होना अनिवार्य है। ऐसे में गरीबों के बच्चे डॉक्टर बनेंगे कैसे ? नीट परीक्षा अनिवार्य तो कर दी गई लेकिन शिक्षण संस्थानों में उन्हीं छात्र छात्राओं का दाखिला होता है जो मोटी रकम चुकाने की स्थिति में होते हैं। क्या गरीब के बच्चे को डॉक्टर बनने का अधिकार नहीं है इसलिए हम दशकों से नीट के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और मरते दम तक करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन एवं खेल मंत्री उदय निधि स्टालिन ने तमिलनाडु की पूर्व सरकार अर्थात एआईएडीएम के को भी नीट के मामले में साथ आने को अपील की है। उदय निधि स्टालिन ने रविवार को एआईडीएमके महासचिव पलानीस्वामी से अपील की कि वह हमारे साथ केंद्र सरकार के खिलाफ नीट के मामले में आवाज़ उठाएं। जब एआईएडीएमके सत्ता में थी तो उसने नीट के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था लेकिन भाजपा सरकार के सहयोगी दल होने के कारण अभी चुप्पी साथ रखी है जो तमिलनाडु के छात्र-छात्राओं की भावनाओं के प्रतिकूल है।
बहरहाल आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार को भावनात्मक रूप से घेरने के लिए नीट पात्रता परीक्षा को मुद्दा‌ बना लिया है और इस मुद्दे को गरीबी और अमीरों के बीच की रेखा खींच कर चुनावी वैतरणी पार करने का प्रयास किया जा रहा है। वही पिछले कई दिनों से तमिलनाडु के गांव में मेरा गांव मेरे लोग यात्रा पर निकले भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई डीएमके सरकार द्वारा नीट के मुद्दे को राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं।
(लेखक तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार हैं और यह लेखक के निजी विचार हैं)

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