
-देवेंद्र यादव-

नरेंद्र मोदी देश के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, विश्व पटल पर 23 अगस्त को यूक्रेन में शांति दूत के रूप में नजर आए। लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। इस युद्ध को रुकवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन गए और उन्होंने यूक्रेन के प्रधानमंत्री जेलेंस्की से वार्ता कर संदेश दिया कि युद्ध से किसी देश का भला नहीं होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन में शांति का संदेश देकर शनिवार 24 अगस्त को भारत पहुंचे और देश पहुंचने के बाद उन्होंने अपनी कैबिनेट की बैठक बुलाई और उसमें अपने सरकारी कर्मचारी की पेंशन की यूपीएस के रूप में घोषणा की।
देश के सरकारी कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन की बहाली के लिए केंद्र सरकार से नाराज चल रहे थे और कर्मचारियों के भीतर सरकार को लेकर असंतोष था। यूक्रेन से लौटने के तुरंत बाद सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शांति दूत बनकर आए और यूपीएस लागू करने की घोषणा की, लेकिन शांति दूत के सामने देश के भीतर और भी अनेक चुनौतियां हैं। क्या सरकार के प्रति किसानों के असंतोष को भी दूर किया जाएगा, क्या बेरोजगार युवकों के असंतोष को भी दूर किया जाएगा, क्या देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी, क्या विपक्षी दलों की मांग पर सेबी की अध्यक्ष को उनके पद से हटाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने शांति के लिए देश के भीतर अनेक चुनौतियां हैं, जिनके समाधान के लिए जनता और विपक्षी दल लगातार आवाज उठा रहे हैं।
जहां तक सरकारी कर्मचारियों की पेंशन की बात करें तो 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपने राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करके, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर दी थी। हिमाचल और कर्नाटक में भाजपा ने विधानसभा चुनाव हारकर अपनी सत्ता गंवा दी थी।
हिमाचल और कर्नाटक में भाजपा की हार का एक बड़ा कारण कर्मचारियों की पुरानी पेंशन का मुद्दा भी था।
अब सवाल उठता है कि देश के चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव की घोषणा कर दी है जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने की घोषणा होना बाकी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मोदी सरकार ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए यूपीएस लागू करने की घोषणा की है मगर सवाल बेरोजगारी, महंगाइर्, किसान की समस्या का है। विपक्षी दलों के देश में जातिगत जनगणना के मुद्दे अभी भी बने हुए हैं। 24 अगस्त शनिवार के दिन राहुल गांधी संविधान सम्मान सम्मेलन में प्रयागराज पहुंचे जहां राहुल गांधी की जबरदस्त आंधी देखी गई, राहुल गांधी ने कहा कि मैं कोई भी काम अपने को याद करने के लिए नहीं बल्कि जनता के हक के लिए करता हूं।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से 23 अगस्त शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जातिगत जनगणना करवाने की पूरजोर मांग की है और कहां है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना नहीं करवाई तो देश में कोई दूसरा प्रधानमंत्री आएगा जो जाति जनगणना करवाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)