
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान में भाजपा की भजन लाल शर्मा सरकार के मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर खबर, समुद्र की लहरों की तरह तेजी से आती है और एक पल में खत्म हो जाती है। ऐसा लंबे समय से देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के लगातार दिल्ली यात्राओं ने राजस्थान मंत्रिमंडल के पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियो को लेकर अटकले तेज कर दी थी और इस तेजी का एक कारण राजस्थान में बड़ा प्रशासनिक फेर बदल भी था। वसुंधरा राजे की भजन लाल शर्मा से एक नाराजगी प्रशासन की कार्यशैली को लेकर भी थी। पिछले कुछ समय से वसुंधरा राजे राजनीतिक रूप से सुर्खियों में थी। सुर्खियां वसुंधरा को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष, उपराष्ट्रपति या राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने को लेकर थीं, लेकिन जब राजस्थान में भजनलाल शर्मा सरकार ने अपने प्रशासनिक बेडे में बड़ा फेर बदल किया तो अटकलें सुनाई देने लगी कि राजस्थान मंत्रिमंडल का शीघ्र ही पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियां होंगी। मगर रक्षाबंधन का त्योहार खत्म हो गया मगर मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियो को लेकर भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं का इंतजार खत्म नहीं हुआ है। मंत्रिमंडल के पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक गलियारो और मीडिया के भीतर एक पल में अटकलें तेज होती हैं और दूसरे ही पल में अटकलें थमने लगती हैं। लेकिन फिर एक नई अटकल सुनाई देने लगती है कि राजस्थान में भाजपा हाई कमान मुख्यमंत्री बदल सकती है। अटकलें तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा को राजस्थान की कमान देने की भी सुनाई देने लगती हैं। पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को भाजपा हाई कमान ने सीधे मुख्यमंत्री बना दिया था। तब से लेकर अब तक भजनलाल शर्मा की राजनीतिक और प्रशासनिक क्षमताओं पर राजनीतिक पंडित और विश्लेषक शक कर रहे थे। लेकिन क्या भजन लाल शर्मा धीरे-धीरे राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से मजबूत नेता होते जा रहे हैं। भजन लाल शर्मा आपदा में आपदा पीड़ित जनता के साथ हमेशा खड़े नजर आते हैं। उनका यह व्यवहार राजस्थान में चर्चा में है। भजनलाल शर्मा आम जनता के बीच साधारण नागरिक की तरह जाकर उनके साथ घुल मिल जाते हैं। भजन लाल शर्मा की यह अदा भी उन्हें राजस्थान में लोकप्रिय बना रही है। जहां तक राजनीतिक ताकत की बात करें तो, प्रदेश मैं भाजपा की तरफ से राजपूत और जाट राजनीति को लेकर सवाल खड़े होते हैं। भाजपा की तरफ से अभी तक राज्य का मुख्यमंत्री राजपूत समुदाय से बनता आया है। लेकिन 2023 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने पहली बार ब्राह्मण समुदाय के भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया। राजपूत को मुख्यमंत्री नहीं बनाने के कारण राजपूत समुदाय में भाजपा के प्रति असंतोष की लहर सुनाई देने लगी और 2024 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा को भारी नुकसान हुआ। लेकिन अब परिस्थिति या एकदम उलट नजर आ रही है। भजन लाल शर्मा के नाम पर राजस्थान का ब्राह्मण एकजुट नजर आ रहा है। स्थिति यह है कि यदि भजनलाल शर्मा को किसी भी राजनीतिक दबाव के कारण हटाकर गैर ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बना दिया तो भाजपा को आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक नुकसान भी हो सकता है। जैसे-जैसे समय गुजर रहा है वैसे-वैसे भजनलाल शर्मा राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से मजबूत होते हुए नजर आ रहे हैं। इस मजबूती का कारण ब्राह्मण समुदाय के भजन लाल शर्मा के लिए लाम बंद होना है। प्रदेश में लंबे समय से कांग्रेस ने भी ब्राह्मण को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जबकि भाजपा ने पहली बार ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनाया, और यह ब्राह्मणों के राजनीतिक अस्तित्व का सवाल है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)