रीढ़ की हड्डी कैसे टूटी कांग्रेस में किसी का ध्यान नहीं!

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस सेवादल पार्टी की रीढ़ की हड्डी है। यह बात कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ता और नेता लंबे समय से करते और बताते आ रहे हैं। कांग्रेस के बड़े नेता भी जब कांग्रेस सेवादल के कार्यक्रमों में जाते हैं तो मंच पर खड़े होकर गर्व से कहते है कि सेवादल पार्टी की रीढ़ की हड्डी है। लेकिन कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी बिखर गई या टूट गई है जिसकी सर्जरी करने का इंतजार देश के तमाम सेवा दल के कार्यकर्ता कर रहे हैं। जब भी कांग्रेस बड़े स्तर पर कोई कार्यक्रम करती है तब नेताओं को सेवा दल की याद आती है, और काम निकलने के बाद नेता सेवादल को भूल जाते हैं। सेवादल का कार्यकर्ता कुंठित होकर अगले कार्यक्रम का इंतजार करता है।
कांग्रेस के रणनीतिकारों ने इस रीढ़ की हड्डी को उस समय तोड़ दिया जब सेवादल का राष्ट्रीय अध्यक्ष एक ऐसे शख्स को बनाया जो ना सेवादल पृष्ठभूमि का था और ना ही कांग्रेस की विचारधारा का ठीक से बड़ा अनुभव था। गुजरात के लाल जी देसाई को कांग्रेस के भीतर कोई जानता तक नहीं था। परिणाम यह हुआ कि आज कांग्रेस का सेवा दल राजस्थान के अलावा अन्य किसी राज्य में नजर नहीं आता है। कांग्रेस के बड़े नेता सेवादल को कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी मानते हैं और बोलते हैं मगर इन नेताओं ने कांग्रेस सेवा दल को लेकर कोई बड़ी योजना नहीं बनाई। कांग्रेस सेवा दल से अलग होकर हेडगेवर ने आरएसएस की स्थापना की। आरएसएस आज सेवादल से कहीं बहुत अधिक मजबूत है जबकि स्वयंसेवक संघ के पास कांग्रेस की तरह देश और राज्यों में लंबे समय तक सत्ता भी नहीं थी। भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दम पर 2014 में लोकसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया और लगातार तीसरी बार देश का आम चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में बैठने का इतिहास रच दिया।
राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी ने सेवा दल की अहमियत को गंभीरता से समझा था और प्रयास किया था कि सेवा दल को मजबूत किया जाए। लेकिन कांग्रेस के मठाधीशों ने राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी के सपनों को साकार नहीं होने दिया। इसके विपरीत सोनिया गांधी की मौजूदगी में सेवादल के इंचार्ज राष्ट्रीय महामंत्री ने गुजरात के एक ऐसे शख्स को कांग्रेस के इस महत्वपूर्ण संगठन पर बैठा दिया जिसने सेवा दल की कमान संभालने के बाद सेवादल की परंपराओं और इतिहास को ही बदलने का काम किया। अब तक राहुल गांधी और उनके रणनीतिकारों और सलाहकारों ने इस पर अभी तक मंथन और चिंतन क्यों नहीं किया। सेवादल में किए जा रहे बदलाव के पीछे सोच किसकी थी और इससे कांग्रेस को क्या लाभ होने वाला था। क्या इन बदलावों के बाद कांग्रेस सेवादल मजबूत हुआ या कमजोर हुआ। क्या इस पर कभी कांग्रेस के भीतर कुंडली मारकर बैठे नकारा रणनीतिकारों ने समीक्षा की। शायद कभी नहीं। यदि समीक्षा करते तो कांग्रेस सेवादल केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं रहता। जहां से कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल जी देसाई आते हैं उस गुजरात में भी कांग्रेस सेवादल मजबूत नजर नहीं आता है। राहुल गांधी बार-बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बात करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों को काउंटर करने के लिए कांग्रेस के जिस संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए उस संगठन की रीढ़ की हड्डी लगभग टूट चुकी है। बस सिर्फ कहने को है सेवा दल कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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