
-कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रभारियों की पहली बैठक
-देवेंद्र यादव-

नए इंदिरा गांधी भवन में बुधवार 19 फरवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रभारियों की पहली बैठक हुई। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में लगभग 7 घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक में यदि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के शब्दों पर और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के चेहरे पर नजर डालें तो, ऐसा जोश लगा ही नहीं कि यह बैठक कांग्रेस के नए इंदिरा गांधी भवन में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं की पहली बैठक है।
बैठक होने से पहले जैसा कार्यकर्ताओं का हजूम 24, अकबर रोड पर नजर आता था वैसा कार्यकर्ताओं का उत्साह और हजूम नए इंदिरा गांधी भवन में नजर नहीं आया। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे से पहले बैठक में पहुंच गए और दरवाजे पर खड़े होकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का इंतजार करते रहे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस की आइडियोलॉजी रखने वाले लोग विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस के साथ चट्टान की तरह खड़े हुए हैं हमें उनका सम्मान करना होगा। मैं लगातार अपने ब्लॉगो में लिख रहा हूं कि कांग्रेस का यूं ही वोट नहीं घटा है। कांग्रेस को निर्वाचन आयोग की मतदाता सूचियो पर ध्यान देना होगा और अपने पारंपरिक मतदाताओं के नाम सूची में जुड़वाने होंगे और सूची में नाम काटे नहीं इस पर नजर रखनी होगी, तभी कांग्रेस सफल होगी। मैंने यह भी लिखा कि कांग्रेस को अपना संगठन सृजन का कार्य राष्ट्रीय स्तर से शुरू करते हुए ग्राम, ब्लाक, जिला स्तर पर करना होगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रदेश के नेताओं को ग्राम, ब्लॉक और जिलों में जाकर ईमानदार वफादार और कांग्रेस के प्रति समर्पित लोगों को कांग्रेस संगठन में पद देने होंगे।
इंदिरा गांधी भवन में चली राष्ट्रीय महासचिव को और राष्ट्रीय प्रभारी की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे ने इन्हीं दो बातों पर अधिक जोर दिया और राष्ट्रीय सचिवों और प्रभारियों को आदेश दिया कि वह इस कार्य को गंभीरता से लें। कांग्रेस निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े कर रही है। कांग्रेस यदि मतदाता सूचियों पर गंभीरता से ध्यान नहीं देगी तो निर्वाचन आयुक्त कोई भी बने फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मतदाता सूची पर लगातार नजर रखते हैं और अपने पारंपरिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में घर-घर जाकर जुड़वाते हैं। कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं को तो इतना भी होश नहीं है कि उनके स्वयं के परिवार वालों के नाम मतदाता सूची में जुड़े या कटे।
जैसे भारतीय जनता पार्टी ने पन्ना प्रमुख की टीम बना रखी है वैसी मजबूत टीम कांग्रेस को भी बनानी चाहिए। कांग्रेस का यह काम सेवा दल और महिला कांग्रेस के कार्यकर्ता ईमानदारी से कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस के इन दोनों ही संगठन में अब कार्यकर्ता नहीं बचे हैं। सारे नेता हो गए हैं। इसकी वजह राष्ट्रीय स्तर का नेतृत्व दोनों ही संगठनों में कमजोर है। सेवादल और महिला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्षों ने राष्ट्रीय नेताओं को मुंह दिखाने के अलावा जमीन पर कार्यकर्ता नहीं बनाए। दोनों ही संगठन बहुत कमजोर हैं जबकि मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस को सेवा दल और महिला कांग्रेस की सख्त जरूरत है।
क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की अधिकांश योजनाएं महिलाओं को प्रभावित कर रही हैं इसीलिए महिला मतदाता कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा की तरफ अधिक आकर्षित हैं। इसलिए कांग्रेस को महिला कांग्रेस को अधिक मजबूत करना होगा, और यह काम तब होगा जब महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष मजबूत होगी। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष विधानसभा चुनाव में अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई। वह कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में मजबूत हो सकती हैं लेकिन महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मजबूत होना अलग बात है। जो पार्टी हाई कमान ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में देख लिया है जहां अलका लांबा अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं। आखिर कांग्रेस ऐसे नेताओं को कब तक ढोती रहेगी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर होने से पार्टी कमजोर होती रहेगी।
जैसे ही सोशल मीडिया और मीडिया पर कांग्रेस की राष्ट्रीय बैठक का समाचार चला वैसे ही राजनीतिक गलियारों में सस्पेंस उत्पन्न होने लगा की आज की बैठक में पार्टी हाई कमान बड़े-बड़े और कठोर फैसले लेगी। लेकिन बैठक के बाद वही ढाक के तीन पात ही नजर आए।
हम कुछ नहीं करेंगे जो भी करेंगे मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ही करेंगे। हम तो सिर्फ बैठे-बैठे मलाई खाएंगे। शायद कांग्रेस के नेताओं ने अपने मन में यही ठान रखा है और इसीलिए वह नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तरह एक और यात्रा निकालने की रणनीति बना रहे हैं।