राजस्थान में कांग्रेस उपचुनाव को लेकर गंभीर अथवा कमजोर!

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

राजस्थान विधानसभा के सात सीटों के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों को उतारा है। इससे यह समझ नहीं आ रहा कि कांग्रेस विधानसभा के उपचुनाव को लेकर गंभीर है या फिर कमजोर है। क्योंकि राजस्थान में कद्दावर नेताओं की मौजूदगी के बीच राष्ट्रीय प्रभारी रंधावा ने विधानसभा की सात सीटों के उपचुनाव को लेकर जंबो स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी। जबकि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व उपमुख्यमंत्री कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री भंवर जितेंद्र सिंह कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर, दिव्या मदेरणा जैसे दर्जनों नेता मौजूद हैं। इन नेताओं की मौजूदगी के बावजूद 40 स्टार प्रचारकों की घोषणा संदेह पैदा करती है कि क्या कांग्रेस गंभीर है या फिर कांग्रेस कमजोर है।
पार्टी हाई कमान 40 स्टार प्रचारकों की जगह राजस्थान के प्रमुख सात नेताओं को एक-एक विधानसभा सीट की जिम्मेदारी दे देते तो, उन नेताओं की अपनी राजनीतिक ताकत का भी पता चल जाता जो नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर हाई कमान के सामने अपने आप को पेश करते हैं और दबाव बनाते हैं कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए।
राजस्थान में जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से चार सीट वह हैं जिन पर 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती थी। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो उन चार सीटों को वापस जीतने की है क्योंकि इन चार सीटों पर कांग्रेस के विधायक 2024 के लोकसभा चुनाव में चुन लिए गए थे इसलिए यह सीट खाली हो गई थी। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती चुनौती खींवसर सीट पर है जो हनुमान बेनीवाल के कारण खाली हुई थी। कांग्रेस ने इस सीट पर हनुमान बेनीवाल से समझौता नहीं किया बल्कि अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया।
टोंक उनियारा की सीट कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के लिए चुनौती है। वही दोसा की सीट सचिन पायलट पर निर्भर है। रामगढ़ सीट पर उप चुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि कांग्रेस ने अपना एक मजबूत और जन आधार वाला नेता जुबेर खान को खोया है। लंबी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। अब इस सीट पर उनके पुत्र मैदान में है। यहां भंवर जितेंद्र सिंह और प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली की अहम भूमिका रहेगी। कुल मिलाकर कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती यह है कि वह 2023 में जीती गई उनकी चार सीटों को उपचुनाव में जीते। जहां तक 40 स्टार प्रचारकों की बात है, यह प्रदेश के बड़े कांग्रेसी नेता का राजनीतिक कमाल है, जिसने बड़े ही राजनीतिक चतुराई से उपचुनाव की कमान एक हाथ से छीन कर सभी के हाथ में दे दी। अब यदि कांग्रेस पार्टी उपचुनाव हारती है तो उसकी जिम्मेदारी सभी की होगी और यदि जीतती है तो भी सभी की जिम्मेदारी होगी !

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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