क्या पांच साल में सरकार बदलने की रवायत बदल पाएंगे गहलोत?

मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत की यह अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी,अहम और महत्वपूर्ण घोषणा इसलिए भी कही जा सकती है कि जिस समय देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ,उस समय राजस्थान में 26 जिले थे और उसके बाद में बीते कई दशकों बाद इन जिलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ कर 33 तक पहुंची लेकिन अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में एक साथ 19 नए जिलों की स्थापना की घोषणा करके इनकी संख्या बढ़ाकर 50 से भी अधिक कर दी है और इसके साथ ही अब आने वाले दिनों में राजस्थान के कई जिलों का नक्शा ही बदल जाने वाला है।

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-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

हर पांच साल में सरकार बदलने के पिछले तीन दशकों से चली आ रही रवायत को बदलने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस चुनावी साल में वित्त मंत्री के रूप में पेश पांचवें बजट को सबसे बड़ा हथियार बनाया है।
आमतौर पर किसी भी सरकार का बजट एक ही बार में एकमुश्त पेश किया जाता है लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बजट के जरिए अगले विधानसभा चुनाव में भरपूर चुनावी लाभ उठाने की रणनीति अपनाते हुए एक बजट को एक बार नहीं बल्कि तीन किश्तों में पेश किया और हर बार कोई न कोई नई लोक लुभावनी घोषणा को नए सिरे से बजट प्रस्ताव में शामिल किया गया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बजट के जरिये अगले विधानसभा चुनाव के बाद फ़िर से कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए पार्टी को चुनाव जिताने की खातिर लोकलुभावन घोषणा करके मतदाताओं को ललचाने के लिए भरसक कोशिश की है। इसी के तहत राजस्थान में 19 नये जिले बनाने की घोषणा करके मुख्यमंत्री ने प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भौचक्का कर दिया है जो अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के चलते न तो नए जिले बनाने की मुख्यमंत्री की घोषणा का विधानसभा में खुलकर समर्थन कर सकते हैं और न हीं जनता की भावनाओं को आहत करने के लिए इसका विरोध कर सकते हैं क्योंकि खुद भारतीय जनता पार्टी के कुछ विधायकों ने खुले दिल से नए जिले बनाने की घोषणा का समर्थन किया जिसकी वे खुद भी मांग करते आ रहे हैं। ऐसे विधायकों में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके कैलाश मेघवाल तक शामिल है तो प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते उन्होंने इस बात को ही विरोध का आधार बनाया है कि क्या नए जिले बनाने के लिए सभी तरह की वित्तीय एवं प्रशासनिक जिम्मेदारियों को पूरा कर पाने में यह सरकार सफ़ल हो पाएगी? साथ ही यह भी जोड़ दिया है कि यह घोषणा बगैर किसी तैयारी के की गई है और इसके लिए वित्तीय प्रबंध नही किया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने तो यहां तक कह दिया कि नए जिले की घोषणा राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के तहत की गई है और इससे प्रदेश के आर्थिक तंत्र को भी दाव पर लगा दिया गया जबकि विधानसभा में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से यह घोषणा करके विपक्ष के इस दावे को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है कि राज्य के लिए बनाए जाने वाले नए 19 जिलों और तीन संभागों के लिए बजट में 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा रहा है तो भाजपा नेताओं का यह आरोप वैसे ही निरर्थक साबित हो जाता है कि अशोक गहलोत ने बिना किसी वित्तीय प्रावधान के नए जिले बनाने की घोषणा की है और इस घोषणा से कि प्रदेश को आर्थिक तंत्र दांव पर लग जाने वाला है क्योंकि राज्य सरकार बजट का प्रावधान करके नए जिले बनाने जा रही।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 11 फरवरी को राजस्थान विधानसभा में अपना इस कार्यकाल का पांचवा बजट पेश करते हुए एक ओर जहां 27 लाख परिवारों को 500 रुपए में रसोई गैस का सिलेंडर देने की घोषणा कर। इन परिवारों को साधने की कोशिश की गई तो महिलाओं को राजस्थान रोडवेज की बसों में 50 प्रतिशत किराए में छूट देकर राज्य की लगभग आधी आबादी को लाभान्वित करना चाहा है। साथ ही किसानों को दो हजार यूनिट बिजली फ्री में देने और प्रदेश की जनता को 50 की जगह 100 यूनिट बिजली मुफ्त में देने की घोषणा कर पूरे प्रदेश भर के लोगों को लुभाने की अपनी कोशिश को कामयाब तरीके से प्रस्तुत किया। बाद में दूसरी बार बहस का जवाब देते हुये मुख्यमंत्री ने युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों का प्रावधान करके एक और महत्वपूर्ण घोषणा करके विपक्षी दलों को चौका है तो अब! प्रदेश में नए 19 जिले बनाकर बनाने की घोषणा करके। मुख्य प्रति पक्षी दल भाजपा के अगले विधानसभा चुनाव में जीत की भरी उम्मीदों पर काफी हद तक कड़ा प्रहार करने की कोशिश की है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में घोषणाओं का तीसरा पिटारा तो शुक्रवार को खोला और प्रदेश में तीन नए संभाग और 19 नए जिले गठित करने की घोषणा की गई है। इनमें से ज्यादातर जगह वे है जहां अभी पहले ही कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। मुख्यमंत्री ने इन जिलों में आने वाले विधानसभा चुनाव में भी जहां न केवल कांग्रेस की मजबूती बरकरार रखना चाहते है बल्कि नए जिले बनाकर वे प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी कांग्रेस को नई ऊर्जा देना चाहते है।
मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत की यह अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी,अहम और महत्वपूर्ण घोषणा इसलिए भी कही जा सकती है कि जिस समय देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ,उस समय राजस्थान में 26 जिले थे और उसके बाद में बीते कई दशकों बाद इन जिलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ कर 33 तक पहुंची लेकिन अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में एक साथ 19 नए जिलों की स्थापना की घोषणा करके इनकी संख्या बढ़ाकर 50 से भी अधिक कर दी है और इसके साथ ही अब आने वाले दिनों में राजस्थान के कई जिलों का नक्शा ही बदल जाने वाला है।
श्री गहलोत ने जयपुर जिले के जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, दूदू एवं कोटपूतली-बहरोड़ के रुप में चार नये जिले बनाये जाने की घोषणा की। इसी तरह जोधपुर जिले के जोधपुर पूर्व एवं जोधपुर पश्चिम एवं फलौदी के रुप में तीन जिले बनाने, श्रीगंगानगर जिले में अनूपगढ़ को, बाड़मेर जिले में बालोतरा को, अजमेर जिले में ब्यावर एवं केकड़ी, भरतपुर जिले में डीग, नागौर जिले में डीडवाना-कुचामन, सवाईमाधोपुर जिले में गंगापुरसिटी, अलवर जिले में खैरथल, सीकर जिले में नीम का थाना, उदयपुर जिले में सलूम्बर, जालोर जिले में सांचौर तथा भीलवाड़ा जिले में शाहपुरा को नया जिला बनाने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने बांसवाड़ा, पाली एवं सीकर को संभाग बनाने की घोषणा की।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं)

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