
-देवेंद्र यादव-

संसद से लेकर सड़क तक सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को उनकी भाषा में जवाब कैसे दिया जाता है, यह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे पार्टी के उन नेताओं को बता रहे हैं जो चुपचाप सहन करके आम जनता के बीच शक की गुंजाइश छोड़ रहे हैं। 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से अब तक भारतीय जनता पार्टी के नेता कांग्रेस और उसके नेताओं पर करारे राजनीतिक हमले कर रहे हैं। भाजपा के राजनीतिक हमलो का जवाब केवल नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी संसद से सड़क तक देते हुए नजर आते थे। जब से मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी अध्यक्ष बने हैं, उसके बाद राहुल गांधी की राजनीतिक ताकत बढ़ गई। कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की जोड़ी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को उनकी भाषा में जवाब देने लगी।
25 जून को भारतीय जनता पार्टी के नेता इमरजेंसी के 50 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस पर संविधान की हत्या करने का आरोप लगा रहे थे। ठीक उसी समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे प्रेस से मुखातिब होकर बता रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी वोटो की धांधली करके सरकार में बैठी है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सरकार की कठपुतली है। राहुल गांधी संसद से लेकर सड़क तक आरोप लगा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सभी संस्थानों पर अपना कब्जा कर लिया है। राहुल गांधी चुनाव में वोटो की धांधली कर जीतने का भारतीय जनता पार्टी पर लगातार आरोप लगा रहे हैं।
अगले महीने संसद का मानसून सत्र शुरू होगा। संसद के सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष खासकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा कि देश में संविधान की हत्या किसने की। 1975 में संविधान की हत्या हुई या फिर वर्तमान समय में संविधान की हत्या हो रही है।
राहुल गांधी ने पूर्व में भी संसद में चुनाव में वोटो की चोरी करने का मुद्दा और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने भी 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाई इमरजेंसी का मुद्दा उठाया था। क्या अब यह दोनों पार्टिया आने वाले संसद के सत्र में कांग्रेस वोट की लूट और भारतीय जनता पार्टी इमरजेंसी के मुद्दे को उठाएगी। दोनों देश के बड़े राजनीतिक दलों के बीच यह मुकाबला होगा कि संविधान की हत्या किसने की और कौन कर रहा है। आने वाले दिनों में संसद के भीतर किस मुद्दे पर चर्चा तेज होगी यह तो सत्र चलेगा तब पता चलेगा मगर खरगे और राहुल गांधी की जोड़ी ने बता दिया कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को उनकी भाषा में जवाब कैसे दिया जाता है। शायद इसीलिए भारतीय जनता पार्टी के नेता इस जोड़ी से परेशान भी नजर आ रहे हैं। परेशानी की वजह भारतीय जनता पार्टी के नेता समझते भी हैं क्योंकि खरगे और राहुल गांधी की जोड़ी के कारण ही भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। संसद में कांग्रेस को एक दशक बाद विपक्षी दल का नेता बनने का अवसर मिला। राहुल गांधी पहली बार लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता बने। सवाल यह है कि कांग्रेस के बुजुर्ग नेता खरगे और राहुल गांधी की जोड़ी ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को राजनीतिक रूप से इतना परेशान कर रखा। यदि इंडिया गठबंधन के नेता और कांग्रेस के छत्रप भी खरगे और राहुल गांधी के साथ स्वर में स्वर मिलाने लगे तो राजनीतिक नजारा ही कुछ और हो।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)