
-देवेन्द्र यादव-

कांग्रेस के हरियाणा में एक दशक बाद सत्ता में वापसी के आसार बने हैं। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि यदि हरियाणा में कांग्रेस हारती है तो इसके पीछे सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि खुद पार्टी ही होगी।
कांग्रेस के भीतर इस सवाल को लेकर गहरा चिंतन और मंथन होता हुआ दिखाई दे रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन के लिए बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी अभी तक उम्मीदवार का चयन नहीं सकी है। शायद कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों के मन में हरियाणा को लेकर उठ रहे उस सवाल का डर है कि हरियाणा में कांग्रेस को भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस ही हराएगी।
हरियाणा में लंबे समय से कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जाट और दलितों के बीच विवाद चला आ रहा है। हरियाणा में कांग्रेस ने जाट को मुख्यमंत्री और दलित को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाकर देखा है। वर्तमान में भी हरियाणा कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष दलित है। मगर सवाल अभी भी वही है यदि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कौन होगा ? दलित जाट या फिर ओबीसी समुदाय का होगा।
हरियाणा में कांग्रेस के भीतर मजबूत जाट नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, दलित नेता कुमारी शैलजा और मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के अलावा ओबीसी में कैप्टन अजय यादव मौजूद हैं। जो मुख्यमंत्री की कुर्सी की दौड़ में शामिल हैं। इन नेताओं की कुर्सी दौड़ के कारण ही हरियाणा से राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस को भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस ही हरा सकती है।
कांग्रेस हाई कमान ने हरियाणा में सांसदों को विधानसभा का प्रत्याशी नहीं बनाने की घोषणा कर दी है, क्या इस रणनीति से उस सवाल पर ब्रेक लग जाएगा जो सवाल उठ रहा है कि यदि कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ी तो हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा।
हरियाणा में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों को भाजपा से ज्यादा ध्यान आम आदमी पार्टी पर देना होगा। कांग्रेस को पंजाब विधानसभा का चुनाव याद करके भी हरियाणा विधानसभा चुनाव की रणनीति बनानी होगी। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने किस तरह से सत्ताधारी कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल को हरा कर अपनी सरकार बनाई थी।
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने या ना बने भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकार कोशिश करेंगे की कांग्रेस सत्ता में नहीं आए। कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने का एक मात्र बड़ा विकल्प भारतीय जनता पार्टी के सामने आम आदमी पार्टी का ही होगा। आप हरियाणा में कांग्रेस का चुनाव में नुकसान कर सकती है। पंजाब और दिल्ली में यह देख चुके हैं। पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस को भाजपा ने नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी ने सत्ता से बाहर किया। पंजाब में भी मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के भीतर नेताओं के बीच में विवाद था इसका फायदा आम आदमी पार्टी ने उठाया और पंजाब में अपनी सरकार बनाई।
अटकलें यह भी है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा के मास्टरमाइंड रहे एक्टिविस्ट और किसान नेता योगेंद्र यादव हरियाणा में कांग्रेस की सत्ता में वापसी करवा सकेंगे। दोनों यात्राओं में योगेंद्र यादव लगातार राहुल गांधी के साथ पैदल चले थे। योगेंद्र यादव हरियाणा के रहने वाले हैं और हरियाणा की राजनीति को अच्छे से समझते और जानते हैं। योगेंद्र यादव किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं है और ना ही वह चुनाव लड़ना चाहते हैं, मगर वह हरियाणा में कांग्रेस की सरकार देखना चाहते हैं।
ऐसे में क्या पर्दे के पीछे से टीम राहुल गांधी हरियाणा में योगेंद्र यादव के नेतृत्व में चुनावी रणनीति बना रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि किसान, खिलाड़ी और जवानों का समर्थन मिला या नहीं। तीनों का समर्थन लेने के लिए कांग्रेस को हरियाणा में बड़ी रणनीति बनानी होगी और यह काम चुनावी रणनीतिकार योगेंद्र यादव से बेहतर और कोई कर नहीं सकता। कांग्रेस के मौजूदा चुनावी रणनीतिकार हरियाणा के मुख्यमंत्री की रेस में शामिल नेताओं के दबाव में आकर प्रत्याशियों का चयन कर सकते हैं मगर योगेंद्र यादव और उनकी टीम निष्पक्षता से प्रत्याशी चयन को अंजाम दे सकते हैं। इस टीम का एक ही लक्ष्य है हरियाणा में कांग्रेस वापसी करें जिसकी संभावनाएं प्रबल हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)