अनिश्चितता की ओर अग्रसर बिहार की राजनीति !

प्रशांत किशोर, लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले 32 सालों से नीतीश कुमार और लालू यादव एवं भाजपा ने मिलकर सरकार चलाईं फिर क्यों बिहार आज भी बिमारू राज्य बना हुआ है? बिहार पूरे देश में मजदूर सप्लायर बना हुआ है। उद्योग धंधे के अभाव में यहाँ के युवा मारे मारे फिर रहे हैं, और सत्ता में बैठे लोग सिर्फ जातियों के बीच मतभेद पैदा करने में लगे हैं

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एक समय के साथी उपेन्द्र कुशवाह एवं नीतीश कुमार। फोटो सोशल मीडिया

जदयू संसदीय समिति के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में मतभेद

-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

पटना। इन दिनों बिहार की राजनीति अनिश्चितता के ओर बढ रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सत्ताधारी पार्टी जद यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पार्टी को बेहद मजबूत और शक्तिशाली बता रहे हैं, वहीं जदयू संसदीय समिति के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाह पिछले दो महीने से पार्टी कमजोर होने की चर्चा करने में लगे हैं।
बहरहाल उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को पार्टी कायकर्ताओं के नाम चिट्ठी जारी करं आगामी 19 और 20 फरवरी को पटना पहुँचने की अपील की है। इस चिट्ठी के जरिये उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू के आला नेताओं को खुली चुनौती भी दी है।
उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में बताया कि पार्टी बिल्कुल शुन्य की तरफ बढ़ रही है। जब मीडिया ने उनसे सवाल किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह कहते हैं पार्टी बहुत ही मजबूत है, 75 लाख से भी अधिक कायकर्ता है तो श्री कुशवाहा का कहना था कि ये कायकर्ता सिर्फ कागज़ पर दिखाई दे रहे है, जमीन से कोसो दूर है। उनहोंने पिछले बिहार उपचुनाव के परिणाम का जिक्र करते हुए कहा कि कुढनी और गोपालगंज हम हार गए, मोकामा हम मुश्किल से जीत पाए जबकि समाजिक समीकरण हमारे पक्ष में थे।

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उपेन्द्र कुशवाह का कार्यकर्ताओं के नाम पत्र। सोशल मीडिया

उन्होंने मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीम लालू यादव के बीच हुई डील के बारे में कहा कि आखिर यह कैसी डील हुई है जिसके बारे जानने का हक पार्टी को नहीं है। यह पार्टी किसी एक व्यक्ति की नहीं है। हम पार्टी को बचाने के लिए कोशिश कर रहे हैं जो लाखों कायकर्ताओ के खून पसीने से बनी है।
बता दें कि जहाँ उपेंद्र कुशवाहा पार्टी बचाने के नाम पर बगावती तेवर अपनाए हुए हैं वही पार्टी बिहार प्रदेश के अध्यक्ष उमेश कुशवाहा यह कह रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में नहीं है।
यहाँ उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव सब कुछ टुकुर टुकुर देख रहे हैं। लालू यादव बहुत जल्द बिहार वापस आने वाले हैं। जदयू में हो रहे सिरफुटौबल से जहाँ भाजपा खुश है ं वहीं आरजेडी भी आंख मुंदकर सब कुछ देख रही है। कयास लगाया जा रहा है कि लालू यादव के बिहार आने के बाद राज्य की राजनीति बदल सकती है। गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री समाधान यात्रा पर हैं, जबकि बिहार के विरोधी पार्टी भाजपा समेत लोजपा मुख्यमंत्री को नाकामी को उजागर कर रहे हैं। जनसुराज यात्रा कर रहे प्रशांत किशोर, लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले 32 सालों से नीतीश कुमार और लालू यादव एवं भाजपा ने मिलकर सरकार चलाईं फिर क्यों बिहार आज भी बिमारू राज्य बना हुआ है? बिहार पूरे देश में मजदूर सप्लायर बना हुआ है। उद्योग धंधे के अभाव में यहाँ के युवा मारे मारे फिर रहे हैं, और सत्ता में बैठे लोग सिर्फ जातियों के बीच मतभेद पैदा करने में लगे हैं।

(लेखक बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं)

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