
-कृतिका शर्मा-

(अध्यापिका एवं एंकर)
“”सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग””
यदि आप भी इस का शिकार हैं ,तो इसका पता लगाने का आसान तरीका है। कि यदि आप कुछ भी उचित कार्य करने से पहले यही सोचते हैं कि वह क्या सोचेगा वह क्या कहेगा? तो आप भी इस रोग का शिकार हैं। कभी सोचा है, कौन है वह लोग जिनके कुछ बोलने से हम इतना डरते हैं। लोग क्या कहेंगे, ऐसा मत पहनो ,वह मत खाओ ,इतना मत हंसो ,वहां मत जाओ या वो करियर मत चुनो, लोग क्या कहेंगे ?यह सोचकर हमेशा अपने आप को दबाते हैं। जरा एक बात सोची है कभी, जो लोग खुलकर यह सब करते हैं उनके लिए लोगों ने क्या बुरा बोला और आप नहीं करते यह सब काम तो आपको कितना लोगों ने महानता का खिताब दिया। दरअसल सिर्फ डर बैठने के अलावा कुछ नही किया।
“”किस बात का है डर””
हम या आप कोई भी उचित कार्य चाहे वह पढ़ाई से संबंधित हो या आपकी रुचि से संबंधित हो या आपके व्यवसाय से संबंधित हो ,शुरू करने से पहले सोचते हैं कि वह क्या कहेगा? कौन है “वह”? किस बात का डर है? यदि आप पूरी तरह से मानसिक रूप से तैयार है अपने कार्य को करने के लिए अपनी पूरी तरह से सब जानकारी रखकर कार्य शुरू करने का फैसला लिया है तो डर किस बात का? किन लोगों से डरते हैं आप? अगर कुछ है तो वह समाज द्वारा और आपके परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा आपके दिमाग में बैठाया गया डर कि 4 लोग क्या कहेंगे ? कभी सोचा है कि जिंदगी में आपके किसी भी कार्य करने में असफल होने पर ही यह चार लोग सामने आते हैं । यह चार लोग तब कहां जाते हैं जब आप सफलता की पहली सीढ़ी पर कदम रखते हैं। यह वही चार लोग हैं जो आपके परिवार या समाज में से कुछ हैं जिनके पास कोई और कार्य नहीं है अगर आप इन लोगों के लिए अपना सर भी धड़ से अलग कर के रख देंगे तो भी यह चार लोग यही बोलेंगे अरे सही से नहीं कटा थोड़ा ऊपर या नीचे से काटना चाहिए था। आप इन लोगों को कभी खुश नहीं कर सकते।
“”जरूरत है सही मायने में समझने की””
सही मायने में यह बात समझ मे आनी चाहिए कि यह लोग कभी खुश नहीं हो सकते। तो क्यों इन लोगों के लिए अपनी इच्छाओं को दबाते हैं। जरूरत है तो माता-पिता को यह बात समझने की ,यदि आपका बच्चा कुछ अच्छा करना चाहता है आगे बढ़ना चाहता है तो उसे सही मार्गदर्शन दीजिए ना कि उसके अंदर यह डर बिठाइए कि लोग क्या कहेंगे? आज के समय में जो बच्चे आत्महत्या का रास्ता चुनते हैं उनका कारण भी कहीं ना कहीं यह समाज या परिवार के सदस्यों द्वारा यह डर है कि लोग क्या कहेंगे? इस के बजाय वह जो भी उचित करना चाहता है उसे प्रेरित करें।
एक बात बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि जैसा हमारा आचरण है हमारी सोच है वैसा ही हम दूसरों को देखते हैं सही बात तो यह है कि लोग अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने , अपनी परेशानियों को सुलझाने में इतना व्यस्त रहते हैं कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके आस पास क्या हो रहा है? एक् बार सोचें कि जो लोग ऐसी बातें करते हैं उन्होंने अपनी जिंदगी में क्या कर लिया ?क्योंकि जिन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ किया है और आगे करना चाहते हैं ऐसी बातों पर या दुनिया में लोग क्या कर रहे हैं उस पर ध्यान नहीं देते। इन चार लोगों को आप कभी जिंदगी में संतुष्ट नहीं कर सकते तो हो सके तो अपनी और अपने बच्चों की खुशी और संतुष्टि पर ध्यान दें।।